यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) डिस्टेंस लर्निंग एजुकेशन इंस्टीट्यूट के माध्यम से एम फील और पीएचडी प्रोग्राम ऑफर करने के लिए नियमों में छूट दे सकता है. इससे करीब 10,000 स्टूडेंट्स को फायदा मिलेगा.
यूजीसी चेयरमैन वेद प्रकाश ने कहा, 'कमीशन इस मुद्दे पर विचार कर रहा है और अगली कमेटी की मीटिंग में इस बात को रखा जाएगा.'
इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने कहा है कि यूजीसी को यह याद करना चाहिए कि चार साल पहले उसने अपने नियमों में छूट देने का आश्वासन दिया था. दरअसल, यूजीसी ने 2009 के बाद ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग माध्यम से की गई पीएचडी और एमफिल की डिग्री को नकार दिया था. इस साल के बाद जिन्होंने भी डिस्टेंस लर्निंग से एमफील या पीएचडी की डिग्री हासिल की थी, वे असिस्टेंट प्रोफेसर और गेस्ट फैकल्टी के पद पर नौकरी पाने के योग्य नहीं है.
यूजीसी के इस फैसले के बाद पूरे देश में स्टूडेंट्स ने विरोध-प्रदर्शन किया, जिसमें इग्नू के स्टूडेंट्स और टीचर्स भी शामिल थे. इस विरोध को देखते हुए यूजीसी ने 2011 में इस प्रतिबंध को हटा दिया.
प्रतिबंध हटाने के शर्त में यूजीसी ने तब कहा था कि ओपन यूनिवर्सटी को एमफील, पीएचडी कराने का अधिकार तब दिया जाएगा, जब वे यूजीसी के रेगुलेशन और प्रोविजन का पालन सही तरीके से करेंगे. लेकिन यूजीसी ने इस बारे में किसी तरह का ऑफिशियल स्टेटमेंट अभी तक जारी नहीं किया है.
इग्नू टीचर एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर कहा, 'ऑफिशियल स्टेटमेंट के जारी नहीं होने से हजारों स्टूडेंट्स का करियर बर्बाद हो रहा है, जिसके लिए सिर्फ यूजीसी जिम्मेदार है. इसके कारण इग्नू एक्ट में संसोधन भी नहीं हो पा रहा है.'
इनपुट: पीटीआई
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