दो साल पहले अपनी शर्तों पर भारत आना चाहता था दाऊद, UPA सरकार में हुई थी चर्चा

भारत का मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम दो साल पहले भारत आने को तैयार था और इस बारे में उसकी तत्कालीन यूपीए सरकार से बातचीत भी हुई थी.

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Dawood Ibrahim Dawood Ibrahim

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 12:56 PM IST

भारत का मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम दो साल पहले भारत आने को तैयार था और इस बारे में उसकी तत्कालीन यूपीए सरकार से बातचीत भी हुई थी.

अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, 2013 में दिल्ली के एक वकील और कांग्रेस नेता ने अपने पार्टी नेतृत्व को बताया कि दाऊद इब्राहिम ने भारत लौटने का सशर्त प्रस्ताव दिया है. यूपीए सरकार में शीर्ष अधिकारी रहे सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इस विषय पर पार्टी और सरकार में 'उच्चतम स्तर' पर चर्चा हुई थी. 1993 मुंबई धमाकों के मामले में वॉन्टेड दाऊद ने दो दशक बाद भारत में कानूनी ट्रायल का सामना करने का मन बनाया था.

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अपनी शर्तों पर आना चाहता था दाऊद
अखबार में छपी खबर के मुताबिक, दाऊद के इस प्रस्ताव पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उस वक्त के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के बीच चर्चा हुई थी. दाऊद के प्रस्ताव की खबर लाने वाले वकील और कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे पर कम से कम दो वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं से भी बात की थी. उन्हें कहा गया कि यह सियासी तौर पर विस्फोटक मुद्दा है और भारत के मोस्ट वॉन्टेड के खिलाफ उसकी शर्तों पर ट्रायल चलाना जोखिम भरा होगा.

इसकी पुष्टि के लिए मेनन से संपर्क नहीं किया जा सका. लेकिन मनमोहन सिंह की ओर से अखबार को ईमेल पर जवाब जरूर मिला, जिसमें लिखा था, 'अंडरवर्ल्ड लीडर दाऊद इब्राहिम की वापसी को लेकर मैंने किसी व्यक्ति से चर्चा की हो, ऐसा मुझे याद नहीं आता.'

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कांग्रेस नेतृत्व और PMO में हुई चर्चा
लेकिन पूर्व अधिकारियों का कहना है कि यह प्रस्ताव पहले कांग्रेस नेतृत्व के पास ले जाया गया था और बाद में इस पर पीएमओ पर चर्चा हुई. कांग्रेस की ओर से इस चर्चा का सूत्रपात करने वाले वकील डी कंपनी से जुड़े कई मामलों को संभाल चुके हैं और बताया जाता है कि उनका दाऊद और उसके परिवार के लोगों से सीधा संपर्क है.

अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि 2013 में दाऊद किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रस्त था और अपने बाकी परिवार के पास भारत लौटना चाहता था. 1993 में जब कथित तौर पर वह दुबई में था, उसकी कानूनी टीम ने एक वकालतनामे पर उसके दस्तखत लिए थे. उसकी टीम ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने के लिए एक याचिका तैयार की थी, जिसमें मुंबई धमाकों के ट्रायल को दिल्ली शिफ्ट करने का अनुरोध किया गया था. लेकिन इसके बाद कुछ कानूनी मशविरों के बाद यह याचिका दाखिल ही नहीं की गई.

इस याचिका में दाऊद ने मुंबई पुलिस को जमकर आड़े हाथों लिया था और कहा था कि वह मुंबई बम धमाकों में उसकी संलिप्तता दिखाने की कोशिश से हैरान है और वह खुद को बेकसूर साबित करना चाहता है.

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