अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु समझौते से अलग होने का ऐलान कर दिया है. 2015 में ईरान और छह वैश्विक शक्तियों के बीच हुए इस परमाणु समझौते से अमेरिका का निकलना भारत के लिए भी मुसीबत खड़ी कर सकता है. खासकर पेट्रोल और डीजल के कीमतों के मोर्चे पर.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान परमाणु समझौते से अलग होने का असर दिखने भी लगा है. इस फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट क्रूड की कीमतें 77 डॉलर के करीब पहुंच गई हैं. ट्रंप के फैसले के बाद इसमें 2.5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है. 2014 के बाद ब्रेंट क्रूड पहली बार इतने ऊंचे स्तर पर पहुंचा है. वहीं, डब्लूपीआई क्रूड की बात करें, तो यह भी 75 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है. यह भी 2014 के बाद अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है.
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी होना तय माना जा रहा है. हालांकि तेल कंपनी के एक अधिकारी का मानना है कि अमेरिका के इस कदम का तुरंत असर भारत पर नहीं पड़ेगा. उनके मुताबिक ईरान से भारत को आयात किए जाने वाले कच्चे तेल पर तब तक असर नहीं पड़ेगा, जब तक यूरोपीय देश भी अमेरिका के साथ खड़े नहीं हो जाते.
समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) के निदेशक (वित्त) एके शर्मा ने बताया कि भारत अपनी तेल आपूर्ति के लिए भुगतान यूरो में करता है. इसके लिए वह यूरोपीय बैंकिंग चैनल का इस्तेमाल करता है. उनका कहना है कि जब तक ये रास्ते बंद नहीं होते, तब तक यूएस के इस कदम के असर से भारत अछूता रह सकता है.
लेकिन इस वजह से खड़ी होगी मुसीबत
शर्मा ने कहा कि हमें स्थिति पर नजर बनाए रखनी होगी. अगर यूरोपीय देश पहले की स्थिति बनाए रखते हैं, तो ईरान से भारत को होने वाली तेल की आपूर्ति पहले की तरह होती रहेगी. लेकिन अगर यूरोपीय देश भी अमेरिका के साथ खड़े हो जाते हैं. ये देश बैंकिंग चैनल को बंद कर सकते हैं और ईरान के साथ वित्तीय लेन देन पर प्रतिबंध लगा सकते हैं. ऐसे में भारत के लिए ईरान को तेल खरीद की खातिर भुगतान करना मुश्किल हो जाएगा.
इराक और सउदी अरब के बाद ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल सप्लायर है. वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 10 महीनों में ईरान ने भारत को 1.84 करोड़ टन कच्चा तेल दिया था. यह आंकड़ा अप्रैल, 2017 से जनवरी 2018 के बीच का है.
लेकिन अगर यूरोपीय देश भी अमेरिका की राह चलते हैं, तो कच्चे तेल को लेकर भारत का गणित गड़बड़ा सकता है. दूसरी तरफ, ईरान की तरफ से कच्चे तेल की सप्लाई कम होने से हालात और बिगड़ेंगे. पहले ही वेनेजुएला में पैदा हुए आर्थिक संकट के चलते कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी जारी है.
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के चलते पहले ही देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान पर पहुंची हुई हैं. बुधवार को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल के लिए 74.63 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. वहीं, मुंबई में इसकी कीमत 82.48 रुपये पर पहुंच चुकी है. डीजल भी अपने रिकॉर्ड स्तर पर है. दिल्ली में एक लीटर डीजल के लिए 65.93 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. मुंबई में 70.20 रुपये प्रति लीटर देना पड़ रहा है;
कच्चे तेल की कीमतें तो लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन 24 तारीख से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. माना जा रहा है कर्नाटक चुनाव के चलते कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है.
हालांकि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से सरकार के सामने नया आर्थिक संकट पैदा हो सकता है. रुपये पर इसका असर साफ दिख रहा है. रुपया डॉलर के मुकाबले 15 महीने के निचले स्तर पर पहुंच चुका है. फिलहाल रुपया 67 रुपये के स्तर पर है.
विकास जोशी