तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने FRDI बिल का किया विरोध, जमकर की नारेबाजी

मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने इकट्ठा होकर एफआरडीआई बिल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार से इस बिल को पूरी तरह से वापस लेने की मांग की.

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तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने किया विरोध तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने किया विरोध

रणविजय सिंह / बालकृष्ण

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

सरकार ने इस बात को साफ कर दिया है कि विवादों में फंसे फाइनेंसियल रिजोलुशन एंड डिपोजिट इंश्युरेंस बिल फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (FRDI BILL) को फिलहाल मंजूरी के लिए संसद के सामने पेश नहीं किया जाएगा. बल्कि हो सकता है कि यह बिल अब संसद के बजट सत्र में भी पेश नहीं हो सके. लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सदन को बताया कि यह बिल संसद की जिस जॉइंट कमेटी के सामने है, उसे अपने रिकॉर्ड तैयार करके पेश करने के लिए और समय दे दिया गया है.

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अब इस कमेटी के पास अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए बजट सत्र के आखिरी दिन तक का समय है. लेकिन इसके बावजूद इस बिल से जुड़े विवादों की वजह से राजनीतिक पार्टियां अभी भी इसका विरोध लगातार कर रही हैं. मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने इकट्ठा होकर एफआरडीआई बिल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार से इस बिल को पूरी तरह से वापस लेने की मांग की.

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत राय से जब यह पूछा गया कि जब सरकार खुद ही इस बिल से कदम पीछे खींच रही है तब संसद में विरोध प्रदर्शन करने का क्या मतलब है. लेकिन उनका कहना था कि तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि इस बिल को पूरी तरह से खत्म किया जाए, क्योंकि इसको लेकर लोगों में डर बना हुआ है.

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उनका कहना था कि सरकार इस बिल के जरिए छोटे निवेशकों के पैसे से बैंकों का एनपीए माफ करने की योजना बना रही है, जो दरअसल पूंजीपतियों को मदद पहुंचाने का तरीका है.

FRDI बिल के बेल आउट प्रावधान को लेकर काफी विवाद हो चुका है. बिल के इस भाग में बताया गया है कि अगर कोई बैंक या वित्तीय संस्था डूबने की स्थिति में पहुंच जाती है तो उसको बचाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं. बिल में यह भी कहा गया है कि फिलहाल खाता धारकों के 1 लाख रुपए तक जमा रकम इन्शोर्ड मानी जाती है. उस नियम को भी खत्म कर दिया जाए. बिल के इसी प्रावधान को लेकर हंगामा मचा हुआ है. विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि सरकार इस बिल के जरिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों के कर्ज माफ करना चाहती है.  

इस बिल को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार यह बात कही कि इस बिल को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है. छोटे निवेशकों के पैसों की रक्षा सरकार हर कीमत पर करेगी. लेकिन इसके बावजूद लोगों में इस बिल को लेकर संशय बना रहा और सरकार ने फैसला किया कि इस दिल को फिलहाल टाल दिया जाए.

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ये बिल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद उसे संसद के दोनों सदनों की ज्वांइट कमेटी को विचार विमर्श के लिए भेज दिया गया था. पहले कमेटी को इसी सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन अब विरोध को देखते हुए उसका समय बढ़ा दिया गया है.

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