सेल्फी न होती तो ये प्रतिभाएं कैसे लेती आपके अंदर जन्म, ये हैं 10 फायदे

घूमते रह ऐ बंदे, न जाने जिंदगी कब खत्म हो जाए. अकेले रहने और घूमने वालों की जिंदगी में बीते कुछ दिनों से रौनक बढ़ गई है. इस बढ़ी रौनक की वजह सेल्फी के रूप में सामने आई है. सेल्फी के चलन बढ़ने से अकेले घूमने वाले लोगों की जिंदगी में कुछ बदलाव आया है. यहां जानिए सेल्फी से होने वाले फायदे के बारे में और अगली बार सेल्फी लेते वक्त गर्व से कहिए,' ऐ लूं क्या सेल्फी'.

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Selfish  लोगों की पहचान करवाती है सेल्फी Selfish लोगों की पहचान करवाती है सेल्फी

विकास त्रिवेदी

  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 9:18 PM IST

घूमते रह ऐ बंदे, न जाने जिंदगी कब खत्म हो जाए. अकेले रहने और घूमने वालों की जिंदगी में बीते कुछ दिनों से रौनक बढ़ गई है. इस बढ़ी रौनक की वजह सेल्फी के रूप में सामने आई है. सेल्फी का चलन बढ़ने से अकेले घूमने वाले लोगों की जिंदगी में कुछ बदलाव आया है. यहां जानिए सेल्फी से होने वाले फायदे के बारे में और अगली बार सेल्फी लेते वक्त गर्व से कहिए,' ऐ लूं क्या सेल्फी'.

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1. आत्म निर्भर: जो लोग तस्वीरों के लिए दूसरों का मुंह ताकते रहते हैं, उनके लिए सेल्फी वरदान बनकर आया है. अब जहां मन किया, फोन उठाया और ले ली सेल्फी. खुद की तस्वीर के लिए अब सेल्फी लेने वाले लोग आत्मनिर्भर हो गए हैं. सेल्फी भीड़ में अकेले खड़े शख्स को मुस्कराने की ताकत देती है. ऐसे माहौल में जहां झुंड में खड़े लोग मुंह फुलाए खड़े रहते हैं, सेल्फी लेने वाला शख्स अपने दांत चियारते रहता है.

2. डीएसएलआर को चुनौती: पूंजीवादी व्यवस्था को चुनौती देते हुए सेल्फी ट्रेंड आने से अब तस्वीर के लिए किसी बड़े डीएसएलआर कैमरे की जरूरत नहीं ही पड़ती. क्योंकि सेल्फी इतने ट्रेंड में है कि अब कई बार डीएसएलआर कैमरे भारी और उबाऊ लगने लगते हैं. जमींदार की तरह डीएसएलआर लटकाए घूम रहे लोगों के लिए सेल्फी फोटोग्राफर्स चुनौती की तरह हैं.

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3. हम साथ-साथ हैं: किसी भी पुरानी ग्रुप फोटो को उठाकर देख लीजिए. कोई एक शख्स हमेशा बाहर ही रहता था. लेकिन सेल्फी की बड़ी बहन ग्रुफी के आने से अब 'हम सब साथ साथ हैं' टाइप कंडीशन हो गई है. ग्रुफी में अब सब साथ एक ही तस्वीर में दिखते हैं.

4. दोस्त की शक्ल में गोलीबाजों की दवाई: ऐसे दोस्तनुमा दुश्मन जो घूमने के हर प्लान के लिए आपको गोली देते हैं और हर प्लान को टालने में यकीन रखते हैं. ऐसे लोगों को अब किसी भी लल्लनटाप जगह में जाकर सेल्फी खींचकर भेज दीजिए या फेसबुक पर पोस्ट कर दीजिए. मलाल की आग में धुंआ हुए आपके साथी अगली बार किसी भी प्लान के लिए आपको गोली नहीं देंगे.

5. संवार लूं: सेल्फी लेने से नाक के बाल से लेकर अपर लिप्स, तिरछी मूंछें और लड़कियों को खुद के चेहरे पर बाल दिखने लगे हैं. इस वजह से सेल्फी को लेते ही लोगों को यह ख्याल आ ही जाता है कि ऐ सखी, सेल्फी बाद में लूंगी, पहले खुद को संवार लूं.

6. कसरत: तर्जनी से लेकर अंगूठे और मुंह तक, हर जगह सेल्फी का ऐतिहासिक योगदान है. सेल्फी की वजह से इन हिस्सों की कसरत भी की जाने लगी है. तस्वीर भी खिंच जाती है और अंगूठे और मुंह भी चौकस काम करते रहते हैं.

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7. गंदे दांत दिखने लगे: गुटखा खाइए या न खाइए. दांत तो सभी के अक्सर गंदे हो जाते हैं. सेल्फी लेते वक्त लोगों को अपने गंदे दांत दिखने लगते हैं, उसके बाद शुरू होता है स्वच्छ मुख दंत अभियान. सेल्फी ने गंदे दांतों को साफ करने में भी बड़ी भूमिका निभाई है.

8. शीशे की जरूरत खत्म: खुद के चेहरे को निहारने के लिए अब शीशे की जरूरत नहीं है. सेल्फी से अब तस्वीर लेते वक्त खुद को जी भरकर देखने का मौका मिल जाता है. इससे वक्त भी बचता है और सजने की वजह भी मिल जाती है.

9. वजन छिपाती है सेल्फी: सेल्फी से वजन छिपाने में मदद मिलती है. एंगल बदलकर चेहरे को पाउट से लेकर फलां-फलां मोड में ले जाकर खुद के मोटापे को छिपाने में सेल्फी मददगार होती है. ऐसी सेल्फी लोगों में आपकी चर्बी को छिपाकर जीरो फिगर पेश करती है, बस थोड़ी कोशिश करनी पड़ती है दोस्त.

10. परफेक्ट पोज फोटोग्राफर: सेल्फी के जन्म लेते ही जो लोग तस्वीर का मतलब सिर्फ फ्लैश चमकना समझते थे, ऐसे लोग भी अब रोशनी की अहमियत और फोटो सेंस को समझने लगे हैं.

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