बंगाल पंचायत चुनाव हिंसा: TMC के दो गुटों की लड़ाई में दो की मौत

पुलिस ने बताया कि स्थानीय लोगों ने तृणमूल कांग्रेस के 40 वर्षीय कार्यकर्ता रजब अली को यह आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला कि उसने रहमान की हत्या की है. बहरहाल, राज्य में पंचायत चुनाव नामांकन को लेकर कई जगह हिंसक घटनाएं हुई हैं.

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ममता बनर्जी ममता बनर्जी

नंदलाल शर्मा

  • कोलकाता,
  • 12 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 9:11 AM IST

उत्तरी 24 परगना जिले में विजय जुलूस के दौरान बुधवार को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में संदिग्ध गुटीय लड़ाई में दो व्यक्तियों की मौत हो गयी. पुलिस ने इसकी जानकारी दी. जिले के सासन इलाके में फाल्ती ग्राम पंचायत में पार्टी उम्मीदवार की निर्विरोध जीत के बाद रैली निकाली गई थी.

पार्टी के स्थानीय नेता सैफर रहमान (52) जब रैली में चल रहे थे तो तब उन पर चाकू से हमला किया गया. उनको बारासात में एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

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पुलिस ने बताया कि स्थानीय लोगों ने तृणमूल कांग्रेस के 40 वर्षीय कार्यकर्ता रजब अली को यह आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला कि उसने रहमान की हत्या की है. बहरहाल, राज्य में पंचायत चुनाव नामांकन को लेकर कई जगह हिंसक घटनाएं हुई हैं.

पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग ने पलटा फैसला

इससे पहले मंगलवार को अपने ही फैसले को पलटते हुए हुए पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य में अगले महीने होने वाले पंचायत चुनावों के लिए नामांकन-पत्र दाखिल करने की बढ़ी हुई समय सीमा वापस ले ली.

इस बीच, विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि राज्य निर्वाचन आयोग को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने समय सीमा बढ़ाने के पिछले आदेश को रद्द करने के लिए मजबूर किया है. आयोग के सूत्रों ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयुक्त एके सिंह ने पूर्व के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें पंचायत चुनावों में नामांकन-पत्र दाखिल करने की अवधि बढायी गयी थी.

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सुप्रीम कोर्ट पहुंची बीजेपी

बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई ने निर्वाचन आयोग की ओर से अपना ही फैसला वापस लेने के निर्णय के कुछ ही घंटों के भीतर शीर्ष न्यायालय का रुख किया. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी.

बीजेपी नेता प्रताप बंद्योपाध्याय ने आयोग के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. पहले से जारी काम थम जाने पर वकीलों के विरोध के मद्देनजर न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार ने अपने चैंबर में याचिकाकर्ता और उनके विरोधी का पक्ष सुना.

न्यायमूर्ति तालुकदार के चैंबर से बाहर आकर बंद्योपाध्याय ने कहा कि न्यायालय ने निर्वाचन आयोग के आदेश को रद्द करने के आयोग के ही फरमान पर अंतरिम रोक लगा दी है और कहा कि मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी.

मई के पहले हफ्ते में होगी वोटिंग

इस मामले से जुड़े सभी पक्षों से कहा गया है कि वे हलफनामे दाखिल करके अपना रुख स्पष्ट करें. तृणमूल कांग्रेस की तरफ से पेश हुए पार्टी सांसद और वरिष्ठ वकील कल्याण बनर्जी ने कहा कि न्यायालय ने आदेश पर रोक भले ही लगा दी है, लेकिन उसने चुनावी प्रक्रिया में दखल देने से इनकार किया है.

पंचायत चुनाव एक, तीन और पांच मई को तीन चरणों में कराए जाएंगे. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी नई अधिसूचना में कहा गया, ‘‘ऐसा लगता है कि नामांकन की तारीख बढ़ाने के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से कोई विशिष्ट निर्देश नहीं दिए गए हैं. लिहाजा, सभी दस्तावेजों के अध्ययन और सभी बिंदुओं पर विचार करने के बाद आयोग उस आदेश को वापस लेता है और ( पिछला) आदेश रद्द करता है.’’

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एक, तीन और पांच मई को होने वाले पंचायत चुनावों के लिए नामांकन- पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 9 अप्रैल थी, जबकि आयोग ने इसकी अवधि 10 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी थी.

आयोग ने इन शिकायतों के बाद नामांकन दाखिल करने की अवधि बढ़ाई थी कि विपक्षी उम्मीदवारों को पर्चा दाखिल करने से रोका गया. नयी अधिसूचना के अनुसार, निर्वाचन आयुक्त को राज्य सरकार के विशेष सचिव और तृणमूल कांग्रेस की तरफ से दो पत्र मिले. इन दोनों पत्रों में आयोग के पहले के आदेश में कानून की विसंगतियों का हवाला दिया गया था.

बीजेपी नेता दिलीप घोष ने लगाया आरोप

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग पर दबाव बनाया कि वह अपना पिछला आदेश वापस ले. राज्य विधानसभा में माकपा के नेता सुजान चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग को कोई आजादी नहीं है और राज्य के मंत्रियों ने उस पर दबाव डाला है.

विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने आयोग पर दबाव बनाया था कि वह समयसीमा बढ़ाने का ‘‘अवैध आदेश’’ दे.

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