दिल्ली की गर्मी में मशहूर हो रहा है 'मटका मैन'

दिल्ली की जितनी सर्दी मशहूर है, उतनी ही गर्मी भी लेकिन इस साल गर्मी के मौसम में दिल्ली में मटका मैन भी काफी मशहूर हो रहा हैं. साउथ दिल्ली की सड़कों पर अपने मटका वैन में 700 लीटर पानी लेकर प्यासों के गले को तर करने वाले इस मटका मैन की कहानी बेहद दिलचस्प है.

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फाइल फोटो फाइल फोटो

रोशनी ठोकने

  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2017,
  • अपडेटेड 6:00 PM IST

दिल्ली की जितनी सर्दी मशहूर है, उतनी ही गर्मी भी लेकिन इस साल गर्मी के मौसम में दिल्ली में मटका मैन भी काफी मशहूर हो रहा है. साउथ दिल्ली की सड़कों पर अपने मटका वैन में 700 लीटर पानी लेकर प्यासों के गले को तर करने वाले इस मटका मैन की कहानी बेहद दिलचस्प है.

जिस दिल्ली में तपती गर्मी में प्यास बुझाने के लिए भी लोगों को पानी खरीद कर पीना पड़ता है, उसी दिल्ली में मटका मैन लोगों को मुफ़्त पानी पिलाने का काम करता है. मटका मैन के मुताबिक ये काम सिर्फ सोशल वर्क नहीं है बल्कि मानवता के प्रति उनकी जिम्मेदारी भी है.

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साउथ दिल्ली के पॉश कॉलोनी पंचशील पार्क की शानदार कोठी में रहने वाले 68 साल के 'अलग नटराजन’ अब मटकामैन के नाम से जाने जाते हैं. इनके घर के बाहर भी नज़ारा औरों से अलग है. सिर्फ घर नहीं बल्कि मटका मैन की दिनचर्या भी आलीशान कोठियों में रहने वाले लोगों से बिल्कुल अलग है. रोजाना सुबह करीब 5 बजे उठकर अपनी मटका वैन गाड़ी में लगी पानी की टंकी को भरना और फिर निकल पड़ना साउथ दिल्ली के करीब 70 मटकों को भरने. मटका मैन की जिंदगी का मकसद ही अब मानव सेवा है.

आईआईटी प्रोफेशनल नटराजन कैसे बने 'मटका मैन'?
जरूरतमंद लोगों के लिए उनका मसीहा बन चुके मटका मैन ने लंदन में करीब 32 साल तक इंजीनियर का काम किया. 2004 में उन्हें पता चला था कि उन्हें मलाशय का कैंसर है. कैंसर के बारे वक्त रहते पता चल गया था और वक्त पर इलाज भी हो गया लेकिन इस घटना ने सोच को पूरी तरह से बदल दिया और मटका मैन अपने परिवार के साथ 2005 में भारत लौट आए. रिटायर होने के बाद अलग नटराजन ने कई एनजीओ के साथ भी काम किया लेकिन उनकी सोच NGO's की सोच से अलग थी और फिर उन्हें आईडिया आया IIT, ग्रीन पार्क, पंचशील और चिराग दिल्ली जैसी जगहों पर पानी के मटके रखने का और इसके लिए नटराजन ने अपने इंजीनियर दिमाग का इस्तेमाल करके वैन को मोडिफाई किया. मटका मैन वैन में करीब 700 लीटर पानी स्टोर करते हैं. पानी की वेस्टेज रोकने के लिए बॉटल से भरने वाले लोगों के लिए वैन में अलग नल की भी व्यवस्था है.

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पहले नटराजन अपने घर से पानी भरते थे लेकिन मटकों की संख्या बढ़ने लगी और पानी कम पड़ने तो उनके एक पड़ोसी ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया. अब नटराजन को पास ही के दो स्कूल भी पानी देते हैं. नटराजन को जो रोज मटकों में पानी भरते देखते हैं वो उन्हें सरहाते हैं जो नहीं जानते वो भी खूब दुआएं देते हैं.

प्यास बुझाने वाले मटका मैन जरूरतमंदों की मदद भी करते हैं
कहते है पानी पिलाना पुण्य का काम है, लेकिन मटका मैन सिर्फ पानी नहीं पिलाते बल्कि लोगों की जरूरतों को पूरा करने की भी कोशिश करते हैं. नटराजन सिर्फ प्यासों को पानी ही नहीं पिलाते बल्कि जहां उन्होंने पानी के मटके रखे वहीं साईकिल के टायर में हवा भरने वाला पंप भी लगा दिया है जिससे साइकिल सवार या रिक्शा चालक परेशान न हों. नटराजन अपनी वैन लेकर रोजाना सुबह साउथ दिल्ली के 7 जगहों पर मटकों को भरने का काम करते हैं लेकिन जिस जगह पर नटराजन को सेवा करने का सबसे ज्यादा आनंद मिलता है वो है मस्जिद मोठ का फ्लाईओवर, जिसके नीचे पुलिस बूथ के करीब न सिर्फ पानी के मटके रखे हुए हैं बल्कि नटराजन की टीम जिनकी साईकिल में घंटी नहीं होती, उनकी साईकिल पर घंटी लगा देते हैं जिससे एक्सिडेंट कम हों और ये सेवा भी निशुल्क है.

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गर्मी में जब प्यास से गला चटक रहा हो और मटके का ठंडा पानी मिल जाए तो वो किसी अमृत से कम नहीं होता लेकिन नटराजन की वैन से सिर्फ पानी नहीं बल्कि लस्सी भी निकलता है. लोगों की मानें तो कभी खीरे, कभी तरबूज तो कभी नींबू पानी भी मटका मैन लोगों में निशुल्क बांटते हैं. अलग नटराजन के इस नेक काम में उनका साथ देने के लिए चार और लोग हैं जो लस्सी बनाने- बांटने का काम, घंटी लगाने का काम करते हैं. नटराजन को इस काम में पत्नी का पूरा सहयोग मिलता है. नटराजन के सेवा भाव को सराहने वालों की कमी नहीं है. जो लोग मटका मैन को रोजाना लोगों की मदद करते देखते हैं वो दुआओं के साथ उम्मीद भी करते हैं कि नटराजन कि तरह कुछ और लोग भी मानवता के लिए आगे आए.

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