आम की खेती से हुए मालामाल

राहुल जैन ने अपने आम के बाग से शुरू किया काम और आज कैप्रिकॉर्न फूड देश में आम के सबसे बड़े प्रॉसेर्स में से एक है.

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अजय मोदी

  • नई दिल्ली,
  • 14 जनवरी 2014,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

राहुल जैन का परिवार 1990 के दशक के आखिरी वर्षों में चेन्नै के पास 100 एकड़ के अपने आम के बगीचे को लेकर परेशान था. चौदह साल पहले इस नौजवान केमिकल इंजीनियर ने मैंगो प्रॉसेसिंग संयंत्र लगाया और आज उनकी कंपनी कैप्रिकॉर्न फूड प्रॉसेसिंग प्रोडक्ट्स इंडिया देश में आम का प्रॉसेस करने वाली आला कंपनियों में से एक है.

वे कहते हैं, ‘‘हम अपने बगीचे को पट्टे पर दिया करते थे और इसमें हमें समस्या रहती थी. फिर मैंने सोचा कि आम की प्रॉसेसिंग यूनिट लगाई जाए.’’

चालीस वर्षीय जैन थोड़े समय में ही कंपनी की प्रगति देखकर भौचक रह गए. कंपनी आम का गूदा, सत और फ्रोजन फ्रूट बेचती है पर गूदे का कारोबार ज्यादा होता है.

आम के गूदे के 700 करोड़ रु. के घरेलू बाजार में उसकी हिस्सेदारी करीब 25 प्रतिशत हो चुकी है. वह पेप्सीको, कोका कोला, यूनीलीवर, नेस्ले और पार्ले एग्रो जैसी बड़ी कंपनियों को आपूर्ति करती है.

1999 में 2.5 करोड़ रु. की लागत से स्थापित कैप्रिकॉर्न का आज 300 करोड़ रु. का सालाना कारोबार है, जिसमें आधा हिस्सा निर्यात का है. सालाना मुनाफा 30-35 करोड़ रु. है. कंपनी हर साल 2,00,000 टन आम और 50,000 टन अमरूद, पपीता वगैरह का प्रसंस्करण करती है.

दुनिया में सर्वाधिक, 45 फीसदी आम भारत में पैदा होता है. लेकिन ज्यादातर आम देश में ही खप जाता है, सिर्फ 5 प्रतिशत का ही प्रसंस्करण होता है. आम के गूदे का निर्यात धीरे-धीरे बढ़ा है.

कैप्रिरिकॉर्न जैसी खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों पर निवेशकों की नजर है. अप्रैल में माइलस्टोन रेलिगेयर ने कैप्रिकॉर्न में 60 करोड़ रु. का निवेश किया. बाद में क्वाद्रिया कैपिटल ने माइलस्टोन रेलिगेयर का अधिग्रहण कर लिया.

निवेशक भारत में फलों के कारोबार में रुचि ले रहे हैं. क्वाद्रिया कैपिटल के प्रमुख मैनेजिंग पार्टनर राजेश सिंघल के मुताबिक, ‘‘भारत में प्रसंस्कृत फल के कारोबार में कैप्रिकॉर्न की बड़ी हिस्सेदारी है और देश तथा विदेश में भी उसका पुख्ता ग्राहक आधार है.

अगले कुछ साल में प्रसंस्कृत फल और सब्जियों का बाजार काफी बढऩे की उम्मीद है.’’ कंपनी अब कप में फलों का जूस और कैन तथा बोतलों में सब्जियों का रस बाजार में उतारने की योजना बना रही है.

कैप्रिकॉर्न महाराष्ट्र में प्रतिदिन 100 टन टमाटर के पेस्ट के उत्पादन का एक संयंत्र लगाने जा रही है. जैन कहते हैं, ‘‘हमें पर्याप्त मात्रा में आम अपने बगीचे से नहीं मिल पा रहे हैं, इसलिए उन्हें खुले बाजार से खरीदना पड़ता है. मैं रोल मॉडल तो नहीं हूं मगर मेरा मकसद देश में सबसे बड़ा फूड प्रॉसेसर बनने का है. अभी तक हम सही राह पर हैं.’’ -

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