इन 7 सख्त कदमों से घाटी में काबू में आएंगे आतंकी

डीएसपी की हत्या के पीछे अलगाववादियों के हाथ होने की बात भी सामने आ रही है. ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि आखिर घाटी में शांति बहाली कैसे होगी?

Advertisement
घाटी में ऐसे बहाल होगी शांति घाटी में ऐसे बहाल होगी शांति

राम कृष्ण

  • श्रीनगर,
  • 24 जून 2017,
  • अपडेटेड 6:07 PM IST

लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से जम्मू एवं कश्मीर में बिगड़े हालात अब तक सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. सुरक्षा बलों पर लगातार हो रहे हमलों और पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे सीजफायर उल्लंघन ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. लेफ्टिनेंट उमर फैयाज और फिर मस्जिद में डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या से देश भर में जबरदस्त गुस्सा है. डीएसपी की हत्या के पीछे अलगाववादियों का हाथ होने की बात भी सामने आ रही है. ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि आखिर घाटी में शांति बहाली कैसे होगी? सरकार और सुरक्षाबलों को कैसी रणनीति अपनानी चाहिए? घाटी पर लगातार नजर रखने वाले विशेषज्ञों की माने, तो कुछ खास कदम उठाकर जम्मू एवं कश्मीर में हालात सुधारे जा सकते हैं....

Advertisement

1. अलगाववादियों पर लगे बैन
घाटी में माहौल बिगाड़ने के लिए सबसे ज्यादा अलगाववादी नेता ही जिम्मेदार हैं. सूबे में बंद से लेकर विरोध प्रदर्शन तक का आह्वान अलगाववादी नेता ही करते हैं. इसके अलावा पत्थरबाजों को उकसाने के पीछे भी इन्हीं का हाथ होता है. सुरक्षा बलों पर हमलों और आतंकी वारदात में भी अलगाववादियों के शामिल होने की बात सामने आ चुकी है. इनको पाकिस्तान की ओर से फंडिंग भी दी जाती है. इन सब के बावजूद सरकार इनको तवज्जो देती है. कई अलगाववादी नेताओं को सरकार ने सुरक्षा भी मुहैया करा रखा है. अगर इन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाए, तो कुछ हद तक हालात काबू करने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा अलगाववादियों की सुरक्षा खत्म की जानी चाहिए. शनिवार को केंद्रीय मंत्री मुख्तार ने कहा कि आतंकियों और अलगाववादियों में कोई फर्क नहीं.

Advertisement

2. पाकिस्तान सीमा पर बाउंड्री बनाकर
इस बात को पाकिस्तान भलीभांति जानता है कि वह भारत से सीधा मुकाबला करके नहीं जीत सकता है. लिहाजा वह भारत के खिलाफ आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तान की ओर से आतंकियों की घुसपैठ कराई जाती है, जो घाटी में हिंसा का अंजाम देते हैं. सरकार और सुरक्षा बल भी यह मानते हैं कि सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ बड़ी समस्या है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी पाकिस्तान से सटी सीमा पर बाउंड्री बनाने की बात कह चुके हैं. यदि यह बाउंड्री बन जाती है, तो आतंकियों की घुसपैठ रुक जाएगी. साथ ही सीमा पार से होने वाली आतंकी फंडिंग और तस्करी पर भी लगाम कस जाएगा.

3. सोशल मीडिया पर कड़ी निगराने के लिए विशेष साइबर सेल
पाकिस्तान, आतंकी और अलगाववादी घाटी में हिंसा फैलाने के लिए सोशल मीडिया का जबरदस्त इस्तेमाल करते हैं. सुरक्षा बलों की तमाम सख्ती और कर्फ्यू के बावजूद भी प्रदर्शनकारी जमा हो जाते हैं. अब सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी जल्दी ये प्रदर्शनकारी इकट्ठा कैसे हो जाते हैं? खुफिया एजेंसियों का मानना है कि आतंकी और अलगाववादी व्हाट्सअप ग्रुप, फेसबुक, ट्विटर समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके लोगों को सुरक्षा बलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए उकसाते हैं. खासकर जब आतंकी सुरक्षा बलों से घिर जाते हैं, तो स्थानीय लोगों को आड़ बनाते हैं. पत्थरबाजों की वजह से सुरक्षा बलों को आतंकियों के खिलाफ अभियान में बाधा आती है. अगर साइबर सेल बनाकर सोशल मीडिया पर कड़ी निगाह रखी जाए और फौरन कार्रवाई की जाए, तो इस पर काफी हद तक लगाम लगाया जा सकता है.

Advertisement

4. कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाया जाए
घाटी में कश्मीरी हिंदुओं के पलायन के बाद से आतंकियों और अलगाववादियों का प्रभाव बढ़ा है. ऐसे में घाटी में कश्मीरी हिंदुओं को फिर से बसाया जाए, तो आतंकियों और अलगाववादियों को हौसले पस्त हो जाएंगे. इसके लिए सरकार को कड़ी मशक्कत जरूर करनी पड़ेगी. कश्मीरी हिंदुओं को विशेष सुरक्षा भी मुहैया करानी पड़ेगी, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम होंगे और घाटी में हालात जल्द सुधर जाएंगे. मालूम हो कि जम्मू एवं कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं पर अत्याचार किया गया था और उनको पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा था.

5. जनाजे में पहुंचने खूंखार आतंकियों पर ड्रोन से नजर
जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने वाले आतंकियों के जनाजे में हथियार लहराने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. आतंकी अपने साथी के मारे जाने के बाद उसके जनाजे में हथियार लेकर पहुंचते हैं और युवाओं को जिहाद के नाम पर भारत के खिलाफ उकसाते हैं. हालांकि उस वक्त सुरक्षा बलों के लिए कार्रवाई करना मुश्किल होता है, क्योंकि आतंकी भीड़ की आड़ लेकर किसी भी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं. ऐसे में ड्रोन के जरिए जनाजे में जुटने वाले आतंकियों की आसानी से पहचान की जा सकती है और उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है. इसके बाद उनके खिलाफ आसानी से कार्रवाई की जा सकती है.

Advertisement

6. आतंकियों के खिलाफ विशेष सैन्य ऑपरेशन
सुरक्षा बलों की ओर से आतंकियों के खिलाफ समय-समय पर ऑपरेशन चलाए जाते हैं और आतंकियों को ढेर किया जाता है. इससे आतंकियों में खौफ भी है. हालांकि इसके बावजूद भी आतंकी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी के चलते पाकिस्तान और आतंकी संगठन लगातार अपनी रणनीतियों को बदल रहे हैं. ऐसे में कई बार सुरक्षा बलों को आतंकियों के खिलाफ अभियान में सफलता नहीं मिलती है और वे ग्रामीणों को आगे करके भाग निकलते हैं. ऐसे में सुरक्षा बलों को आतंकियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाना चाहिए. इसके अलावा सुरक्षा बलों की नई बटालियन बनाई जानी चाहिए, जो आतंकियों पर कार्रवाई करने के साथ ही ग्रामीणों से बेहतरीन तालमेल बना सके. इससे आतंकियों को ग्रामीणों से किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी.

7. रोजगार और विकास की धारा से जोड़ा जाए
जम्मू एवं कश्मीर में रोजगार और विकास भी बड़ी समस्या बने हुए हैं. रोजगार नहीं मिलने पर कश्मीरी युवा अलगाववादियों के सामने घुटने टेक देते हैं. इसके बाद अलगाववादी और पाकिस्तानी आतंकी इनको पैसा देकर सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी और हमला करने के लिए उकसाते हैं. बेरोजगारी की मार झेल रहे ये युवा मजबूर होकर इस राह पर निकल पड़ते हैं. इसके अलावा घाटी में विकास का भी टोटा पड़ा है. इसका आतंकी और अलगाववादी जमकर फायदा उठाते हैं और अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं. अगर इलाके को विकास की धारा से जोड़ दिया जाए, तो हिंसक घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा गुमराह युवाओं को सही राह में लाने में धर्म गुरु भी अहम भूमिका निभा सकते हैं.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement