उत्तराखंड सरकार पर जारी संकट के बीच कांग्रेस के बागी विधायक हरक सिंह रावत के दफ्तर को रविवार को सील कर दिया गया. विधानसभा में उनके दफ्तर से स्टाफ को भी बाहर निकाला गया है, वहीं सिंह का आरोप है कि मुख्यमंत्री और उनके चेलों ने उनके दफ्तर की फाइलें भी फाड़ी हैं. दफ्तर को सील कर उसकी चाबी मुख्यमंत्री हरीश रावत के सुपुर्द की गई है.
दफ्तर सील होने के बाद उनके फाइलों की जांच की जा रही है, वहीं हरक सिंह ने कहा, 'मुख्यमंत्री हरीश रावत बौखला गए हैं. मेरे खिलाफ बड़ी साजिश हो रही है.'
गौरतलब है कि इससे पहले हरक सिंह ने कहा था कि दल-बदल कानून के तहत उन्हें जो नोटिस थमाया गया है वो गैरकानूनी है. सिंह ने कहा था कि सीएम हरीश रावत ने उन्हें प्रलोभन दिया था. हरक सिंह ने कहा कि विधानसभा में वोटिंग से एक घंटे पहले सीएम ने उन्हें अपने चैंबर में बुलाकर मनचाहे विभाग का मंत्री बनने की पेशकश की थी. जिसे उन्होंने ठुकरा दिया.
...तो गिर चुकी होती सरकार
दल-बदल कानून के तहत नोटिस मिलने पर हरक सिंह रावत ने 'आज तक' से कहा कि यह गैर कानूनी तौर पर दिया गया है. उन्होंने कहा, 'हमने अगर दल बदल किया होता तो सरकार गिर चुकी होती. बिना ऐसा हुए स्पीकर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते.'
बागियों के बारे में फैलाया जा रहा झूठ
हरक सिंह ने कहा कि विधानसभा से बाहर हम क्या करते हैं यह हमारी आजादी है. उन्होंने चार्टर्ड फ्लाइट लेने की बात को झूठ करार दिया. उन्होंने कहा कि हमने स्पाइसजेट के विमान से सफर किया है और हमारे पास उसका बोर्डिंग पास भी है. हरक सिंह ने कहा कि 15 करोड़ रुपये लिए जाने का आरोप बेबुनियाद है. हम बिकाऊ नहीं हैं.
भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते रहेंगे
हरक सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने की हमारी कोई चाहत नहीं है. राज्य में भ्रष्टाचार बुरी तरह फैल गई है. हम पहले भी इसके खिलाफ बोलते रहे हैं और आगे भी बोलते रहेंगे. बागी विधायकों ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है, जो फिलहाल नहीं मिल सका है.
केशव कुमार / अनिंद्य बनर्जी