थार के रेगिस्तान में जहां पांच महीने पहले पारा 50 डिग्री के पार था वहां इन दिनों पारा जमा हुआ है. पचास डिग्री के पहरेदार हमारे जवान जीरो डिग्री के जाबांज बनकर देश की सुरक्षा में लगे हुए हैं. जबरदस्त सर्दी के मौसम में आजतक की टीम ने सीमा पर जवानों के साथ रात गुजारी और जीरो डिग्री के जाबांजो की दिलेरी देखी.
भारत पाकिस्तान सीमा पर इन दिनों न्यूनतम तापमान जीरो डिग्री है. एक हजार किलोमीटर की दूरी में फैली भारत-पाकिस्तान सीमा के रेगिस्तान में अगर आप आधे घंटे खड़े हो जाएं तो लगता है कि शरीर गल जाएगा. रेगिस्तान की तेज बहती हवाएं ऐसे शरीर पर लगती हैं जैसे चीर डालेंगी मगर हाड़ कंपा देने वाली ये सर्दी के भारत के बहादुर जवानों के फौलादी इरादों को नहीं डिगा पाई हैं.
जहां मई-जून के महीने में तापमान 55 डिग्री चला गया था और जलते रेत पर पापड़ सिक रहे थे. इंसान को पिघला देनेवाली गर्मी अब जमा देनेवाली सर्दी बन गई है. जैसे-जैसे रात होती है पारा धड़ाम से गिरना शुरू हो जाता है.
रात बारह बजते-बजते तापनाम पांच डिग्री के नीचे चला गया. रेगिस्तान के इस जहाज को जाड़े में काबू पाना आसान नहीं होता है. रात करीब ढाई बजे तापमान जीरो डिग्री के पास चला गया.
बीएसएफ के जवान सबसे कड़ी पेट्रोलिंग में निकलते हैं. सर्दी के कहर के बीच जवान दुश्मन से सावधान रहते हैं. पूरे तरीके से चौकन्ने रहते हैं. ये वक्त होता है जब दुश्मन से सबसे ज्यादा सावधान रहना पड़ता है. तापमान जमाव बिंदू पर पहुंच जाता है और ठंड का फायदा उठाकर दुश्मन छल न कर जाए इसका पूरा ध्यान रखना पड़ता है.
दरअसल रेगिस्तान में रेत जल्दी गर्म और जल्दी ठंडा होते हैं. ऐसे में जवानों के लिए हर पांच महाने में मौसम के अनुसार ढलना आसान नहीं होता है. सर्दी के मौसम में भी दिन के वक्त की बात की जाए तो यहां तापमान 30 डिग्री तक रहता है. महज 12 घंटे में तापमान जीरो डिग्री से 30 डिग्री तक के बीच पहुंच जाता है. जहां जवानों के लिए काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है.
शरत कुमार / जावेद अख़्तर