उच्चतम न्यायालय ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से कहा है कि पॉक्सो अधिनियम के तहत बलात्कार के वीडियो को कैसे ब्लॉक किया जाए, इस पर वह जवाब दे. ये वीडियो सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर सर्कुलेट हो रहे हैं.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की सामाजिक न्याय पीठ ने मंत्रालय से सामाजिक कार्यकर्ता सुनीता कृष्णन की याचिका पर जवाब मांगा. कृष्णन ने कहा कि एक खास स्थान होना चाहिए जहां कोई व्यक्ति ऐसे बलात्कार के वीडियो के प्रसार के बारे में रिपोर्ट कर सके और उसे ब्लॉक करने की मांग कर सके.
एनजीओ प्रज्वला की सह संस्थापक कृष्णन ने कहा कि सीबीआई जिन नौ मामलों की जांच कर रही है उसके अलावा उनके पास 90 मामले हैं लेकिन कोई एक प्राधिकार नहीं है जिसके पास वह इस तरह के वीडियो को ब्लॉक करने के लिए शिकायत दर्ज करा सकें.
उन्होंने यह भी कहा कि फेसबुक और यूट्यूब समेत सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट उनकी शिकायतों पर कार्रवाई करते हैं और बलात्कार के वीडियो के प्रसार को ब्लॉक करते हैं. लेकिन उन्होंने अदालत से कुछ अस्थायी व्यवस्था करने को कहा जहां कोई जाकर शिकायत दर्ज करा सके.
कृष्णन ने कहा कि आईटी मंत्रालय इस तरह के वीडियो को ब्लॉक करने में मदद कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘पॉक्सो अधिनियम की धारा 19, 20 और 21 के तहत ममालों को रिपोर्ट करने के लिए कुछ कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.’ न्यायालय प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू को हैदराबाद के एनजीओ प्रज्वला द्वारा एक पत्र के साथ पेन ड्राइव में दो बलात्कार के वीडियो भेजने से जुड़े मामले पर सुनवाई कर रहा था.
न्यायालय ने इससे पहले व्हाट्स एप पर बलात्कार के दो वीडियो डाले जाने के संबंध में एक पत्र का स्वत: संज्ञान लिया था और अपराधियों को तत्काल पकड़ने के लिए जांच शुरू करने को कहा था.
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