स्वीडन की संसद में उठा जम्मू और कश्मीर का मुद्दा, पाबंदी हटाने की अपील

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को खत्म किए हुए 115 दिन हो चुके हैं. इसी बीच स्वीडन ने जम्मू-कश्मीर में लागू पाबंदियों और राजनीतिक हिरासतों का विरोध किया है.

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एने लिंद (फाइल फोटो- रॉयटर्स) एने लिंद (फाइल फोटो- रॉयटर्स)

गीता मोहन

  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 10:49 AM IST

  • स्वीडन ने कश्मीर में लागू पाबंदियों का किया विरोध
  • विदेश मंत्री एने लिंद ने पाबंदियों को हटाने की अपील की

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को खत्म किए हुए 115 दिन हो चुके हैं. इस बीच स्वीडन ने जम्मू-कश्मीर में लागू पाबंदियों और राजनीतिक हिरासतों का विरोध किया है. हाल ही में भारत सरकार ने अनुच्छेद-370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष प्रावधानों को खत्म करके राज्य की भौगोलिक-संवैधानिक स्थिति में बदलाव कर दिया था.

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स्वी​डन की संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्वीडन की विदेश मंत्री एने लिंद (Anne Linde) ने राज्य में लागू पाबंदियों को हटाने की अपील की और भारत-पाकिस्तान के बीच द्विप​क्षीय “राजनीतिक समाधान” निकालने पर जोर दिया.

स्वीडन की विदेश मंत्री ने बुधवार को संसद में कहा, “हम मानवाधिकार के महत्व को सम्मान देने पर जोर देते हैं, कश्मीर में जो स्थिति है उसने बढ़ने देने से बचना चाहिए और स्थिति के दीर्घकालिक राजनीतिक समाधान के लिए कश्मीर के निवासियों को शामिल करना चाहिए. भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद भी अहम है.”

उन्होंने यह बात उस ​सवाल के जवाब में कही, जिसमें स्वीडन की संसद में एक सदस्य ने सवाल उठाया था कि क्या कश्मीर की स्थिति पर विदेश मंत्री कोई कदम उठा रही हैं?

विदेश मंत्री एने लिंद ने अपने जवाब में कहा, “कश्मीर में हालात चिंताजनक हैं और सरकार हालात पर करीब से नजर बनाए हुए है. स्वीडन और यूरोपीय संघ दोनों ने इस मसले पर भारत और पाकिस्तान से संपर्क करने का आदेश दे दिया है. यूरोपीय यूनियन के साथ स्वीडन, जम्मू और कश्मीर में हो रहे संवैधानिक परिवर्तनों, घटनाओं और मानवाधिकारों पर पड़ रहे उनके असर पर नजर बनाए हुए है.”

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किंग कार्ल XVI गुस्ताफ और क्वीन सिल्विया 1-6 दिसंबर, 2019 के दौरान भारत के दौरे पर होंगे, उनके साथ स्वीडन की विदेश मंत्री भी डेलीगेशन में शामिल होंगी.

स्वीडन उन कुछ यूरोपीय देशों में से एक है जिसने कश्मीर में मानवाधिकार के मामलों को उठाया है. इस महीने की शुरुआत में जर्मनी की चांसलर एजेंला मार्केल भारत यात्रा पर आई थीं और उस दौरान उन्होंने भी टिप्पणी की थी कि मौजूदा स्थितियां दीर्घकालिक नहीं हो सकतीं.

“मौजूदा पाबंदियों” को हटाने की अपील करते हुए स्वीडन की विदेश मंत्री ने कहा, “स्वीडन और यूरोपीय यूनियन भारत सरकार से अपील करते हैं कि जम्मू और कश्मीर से मौजूदा पाबंदियां हटाई जाएं. यह बेहद अहम है कि मुक्त आवागमन और संचार के अवसर बहाल किए जाएं.”

हालांकि, भारत सरकार ने स्वीडन की संसद में दिए गए इस बयान पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. स्वीडन उन देशों में से एक है जो 1949 से ही संयुक्त राष्ट्र के निर्देशानुसार भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की निगरानी करते हैं. वर्तमान में लगभग 40 सैन्य पर्यवेक्षकों में से 5 स्वीडन से हैं.

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