बाबा की 15 दिनों की भू-समाधि पर कायम सस्पेंस

बिहार में एक बाबा ने 15 दिनों की भू-समाधि ली, बगैर खाए-पिए जमीन के नीचे रहे और फिर बाहर निकल आए. सवाल यही है कि ये बाबा का कोई चमत्कार था या फिर लोगों को भरमाने का कोई खेल?

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मौनी बाबा के नाम से मशहूर प्रमोद बाबा मौनी बाबा के नाम से मशहूर प्रमोद बाबा

सुरभि गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 5:51 AM IST

समाधि क्या है? क्या वाकई समाधि का कोई सच है? क्या सचमुच कोई इंसान दिनों, महीनों या सालों तक समाधि में जाने के बाद वापस जिंदा लौट सकता है? समाधि को लेकर ये सवाल सदियों से रहे हैं, लेकिन बिहार में एक बाबा के 15 दिनों की भू-समाधि ने इन्हें फिर से जिंदा कर दिया है.

मधेपुरा के प्रमोद बाबा इतने ही दिनों तक बगैर खाए-पिए जमीन के नीचे रहे और फिर बाहर निकल आए, लेकिन ये क्या था? बाबा का कोई चमत्कार या फिर लोगों को भरमाने का कोई खेल?

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दरअसल, 30 साल के प्रमोद बाबा बिहार के ही पूर्णिया जिले के रहने वाले हैं, लेकिन लोगों की मानें, तो उन्होंने मधेपुरा के भगतामा जीरोमाइल नाम के इस गांव को ही अपनी कर्मभूमि बना रखी है. इस बार उन्होंने अपने इसी कर्मभूमि में पंद्रह दिनों की भू-समाधि ले कर सबको चौंका दिया है.

जब बाबा ने जाहिर की भू-समाधि की इच्छा
गांव वालों की मानें तो बाबा ने पिछले महीने लोगों के कल्याण के लिए विष्णु महायज्ञ करने का ऐलान किया और यज्ञ से पहले इस भू-समाधि की इच्छा जाहिर की. बाबा नए होते, तो शायद उनकी शक्तियों पर एक बारगी लोगों को शक भी होता, लेकिन सालों से इसी गांव में जमे बाबा के भक्तों को इसमें कुछ भी अटपटा नहीं लगा.

पिछले 12 सालों से नहीं खाया अन्न
पिछले 12 सालों से भी ज्यादा वक्त से कथित तौर पर बगैर अन्न खाए और बगैर बोले-चाले रहनेवाले इन मौनी बाबा के भू-समाधि की तैयारियां शुरू हो गईं. करीब हफ्ते भर में बाबा की समाधि के लिए बीच मैदान में 10 मीटर लंबी और 14 फीट गहरी एक सुरंग खोद डाली गई.

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जब सुरंग में गुम हो गए बाबा
फिर 28 फरवरी को दोपहर के ढाई बजे बाबा सुरंग में गुम हो गए. यहां तक भी सबकुछ ठीक-ठाक था, लेकिन फिर बाबा के हुक्म पर सुरंग के मुंह को बांस की कमानियों और मिट्टी से ढंक दिया गया और सुरंग के अंदर बाबा ने समाधि लेकर पूजा पाठ शुरू कर दी.

पंद्रह दिनों तक बाबा जमीन के नीचे
बाबा ने सुरंग के अंदर डेरा डाला और बाहर भक्तों का रेला शुरू हो गया. बाबा और उनकी सुरंग की एक झलक पाने के लिए समाधि स्थल पर हजारों की भीड़ लग गई. जयकारों से पूरा इलाका गूंजने लगा और मेले की सूरत में बाबा की भू-समाधि का जश्न मनाया जाने लगा. इस बीच पंद्रह दिनों तक बाबा के जमीन के नीचे रहने को लेकर जितनी मुंह उतनी बातें थीं.

15 दिन बाद बाहर निकले बाबा
किसी के लिए ये चमत्कार था, किसी के लिए बाबा जी का खेल . इन तमाम बातों के बीच सबसे बड़ा सवाल यही था कि क्या 15 दिनों के बाद बाबा सचमुच अपनी भू-समाधि से सही-सलामत बाहर निकलेंगे या फिर ये समाधि उनकी आखिरी समाधि साबित होगी. तमाम कुदरती नियम-कानूनों के उलट 15 दिन बाद बाहर निकल कर बाबा ने सबको चौंका दिया.

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मौनी बाबा के नाम से मशहूर हैं प्रमोद बाबा
मौनी बाबा के नाम से मशहूर प्रमोद बाबा जब समाधि के लिए जमीन के नीचे गए, तो बाहर मेला लग गया. हवन पूजन से लेकर जयकारों का दौर शुरू हो गया, लेकिन ना तो किसी ने बाबा को जमीन के नीचे जाते हुए देखा और ना ही किसी ने बाहर आते हुए. सार्वजनिक जगह पर हुई इस समाधि से मीडिया के तमाम कैमरों को भी दूर रखा गया. तो क्या लोगों की निगाहों से दूर ली गई इस समाधि में ही समाधि का सच छिपा था?

मधेपुरा का जिला प्रशासन भी नतमस्तक
खुद प्रमोद बाबा ने जहां मौन व्रत धारण कर रखा है, वहीं उनके भक्तों और श्रद्धालुओं में से कोई भी इस सवाल का सीधा और साफ-साफ जवाब देने को तैयार नहीं है. वैसे बाबा की समाधि और भक्तों के इस रेले के आगे खुद मधेपुरा का जिला प्रशासन भी नतमस्तक है. तभी तो इलाके के सरकारी अधिकारी यहां पहुंच कर बाबा को समाधि लेने से रोकने की कोशिश करने के बाद भी अपने इरादे में कामयाब नहीं हो सके और उन्हें बैरंग लौटना पड़ा.

समाधि के नाम पर अंतर्ध्यान हुए बाबा को 15 दिनों तक किसी ने नहीं देखा और ठीक आखिरी रोज वो अचानक सबके सामने नमूदार हो गए. अब इसे आप चमत्कार कहें, अंधविश्वास या फिर बाबा जी का खेल.

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