RSS बीजेपी के काम में रोज-रोज दखल नहीं देता: सुशील मोदी

जेडीयू से निष्कासित मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी बहुमत साबित करने के लिए नए समीकरण बनाने में जुटे हैं. वह बीजेपी से करीबी बढ़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने मांझी की घोषणाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं. मोदी ने उन आरोपों को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया है कि बीजेपी बिहार में संघ के इशारे पर काम कर रही है.

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aajtak.in

  • पटना,
  • 17 फरवरी 2015,
  • अपडेटेड 7:59 PM IST

जेडीयू से निष्कासित मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी बहुमत साबित करने के लिए नए समीकरण बनाने में जुटे हैं. वह बीजेपी से करीबी बढ़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने मांझी की घोषणाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं. मोदी ने उन आरोपों को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया है कि बीजेपी बिहार में संघ के इशारे पर काम कर रही है.

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जेडीयू से निष्कासन के बाद मांझी लगातार लोकलुभावन घोषणाएं कर रहे हैं, वहीं सुशील मोदी का कहना है कि मांझी को अल्पमत में रहते हुए नीतिगत घोषणाएं नहीं करनी चाहिए. बिहार चुनाव को लेकर आरएसएस की बैठक और बीजेपी पर इसके प्रभाव संबंधी बातों को प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने खारिज किया है. सुशील मोदी ने कहा, 'ये सब मनगढ़ंत है. आरएसएस कभी बीजेपी के रोज-रोज के कामों में दखल नहीं देता.'

नीतीश पर फिर बरसे सुमो
नीतीश कुमार पर जुबानी प्रहार करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि अगर नीतीश दोबारा सीएम बनते हैं तो पहले उन्हें ऐलान करना चाहिए कि वो कोई बड़ा फैसला नहीं करेंगे. इस दौरान मोदी ने 2000-2001 के विश्वासमत की कॉपी जारी की, जिसमें विश्वासमत लिए मना तत्कालीन राज्यपाल बिपिन चंद्र पाण्डेय ने बतौर राज्यपाल अभिभाषण पढ़ा था और उसी दिन नितीश की सरकार गिर गई थी.

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सुशील मोदी ने कहा, 'नीतीश कुमार लगातार पूछ रहे हैं कि राज्यपाल किसका अभिभाषण पढ़ेंगे, हम पूछते हैं कि अपने वक्त राज्यपाल ने किसका अभिभाषण पढ़ा.' नीतीश को चालाक बताते हुए सुमो ने कहा कि लालू प्रसाद मांझी को नहीं हटाना चाहते थे, लेकिन हालात ऐसे हो गए हैं कि नीतीश कुमार ने उनसे इन्हें हटवाने की सहमति ले ली है.

मांझी को धोखा मिला
सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार ने मांझी को धोखा दिया है. मांझी महादलित थे इसलिए उन्हें हटाया गया. अगर वो किसी और जाति के होते तो हटाने की हिम्मत नहीं होती.

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