राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि क्या राजनीतिक दलों को ऐसे लोगों को चुनाव के टिकट देने से रोका जा सकता है, जिनके खिलाफ गंभीर अपराध के मामले में आरोप तय हो चुके हों.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वह राजनीतिक दलों पर दबाव डाले कि पार्टियां आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को टिकट न दें. ऐसा होने पर आयोग राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई करे.
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इस मामले की सुनवाई के दौरान उपाध्याय की ओर से पेश गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि यह ठीक है कि कोर्ट संसद को कानून बनाने का आदेश नहीं दे सकता, लेकिन राजनीति का अपराधीकरण बढ़ रहा है. 2014 में दागी सांसदों की संख्या 34 फीसद थी जो कि 2019 में बढ़कर 46 फीसद हो गई है. इसे देखते हुए चुनाव आयोग आपराधिक पृष्ठभूमि के नेताओं को टिकट न दे.
वही चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि आयोग ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नामांकन संबंधी फार्म में जरूरी बदलाव किए हैं, लेकिन आयोग ने पाया है कि उम्मीदवारों के आपराधिक रिकार्ड का ब्योरा प्रकाशित करने के आदेश से राजनीति के अपराधीकरण रोकने में मदद नहीं मिल रही है. विकास सिंह ने कहा कि कोर्ट राजनीतिक दलों को आदेश दे कि वे आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को टिकट न दें. इन दलीलों पर कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है. राष्ट्रहित में जल्दी ही इस पर कुछ किए जाने की जरूरत है.
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संजय शर्मा