सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आम्रपाली प्रबंधक अगले आदेश तक फ्लैट खरीददारों पर न बनाएं दबाव

कोर्ट के आदेश के फ्लैट की सुपुर्दगी तक खरीदार पर कोई अतिरिक्त रकम जमा करने का फरमान नहीं भेजा जाएगा. क्योंकि कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी जब बैंक ने अपनी बकाया रकम और कंपनी के दिवालिया होने की बात उठाई तब भी कोर्ट ने पहले ख़रीदारों की बात करते हुए सख्त था कि आप इन पर अतिरिक्त चार्ज नहीं करेंगे.

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संजय शर्मा / वरुण शैलेश

  • नई दिल्ली,
  • 30 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 12:26 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप और फ्लैट खरीदारों के बीच चल रहे मुकदमे में आदेश दिया है कि बिल्डर कंपनी अगले आदेश तक खरीददारों पर किसी भी तरह का दबाव न बनाए.

इसका सीधा अर्थ ये लगाया जा रहा है कि फ्लैट की सुपुर्दगी तक खरीदार पर कोई अतिरिक्त रकम जमा करने का फरमान नहीं भेजा जाएगा. क्योंकि कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी जब बैंक ने अपनी बकाया रकम और कंपनी के दिवालिया होने की बात उठाई तब भी कोर्ट ने पहले ख़रीदारों के हित की बात करते हुए सख्त था कि आप इनसे अतिरिक्त चार्ज नहीं करेंगे.

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सुनवाई के दौरान बिल्डर और खरीदारों को लोन देने वाले बैंक ऑफ बड़ौदा से भी कोर्ट ने यही कहा कि आपकी फंसी रकम पर सुनवाई बाद में करेंगे. पहले खरीदारों का काम हल हो जाए. उन्हें फ्लैट या जमा रकम जो वो चाहे उन्हें दिलवाना प्राथमिकता में है.

फ्लैट खरीददारों के वक़ील एमएल लाहोटी के मुताबिक कोर्ट ने कई सुझाव मान लिए हैं. पहले चरण में आम्रपाली समूह वो टावर्स खरीददारों को सौपेंगा जिसमें कंस्ट्रक्शन पूरा हो गया है. सिर्फ लिफ्ट, फायर सेफ्टी और पावर बैकअप जैसे काम रह गए हैं. उन्हें पूरा कर जल्द से जल्द सौंपना होगा. इस चरण में तीन महीनों के भीतर काम पूरा हो सकता है. ये कवायद पूरी कर लेने से 10 से 12 हज़ार लोगों को अपना आशियाना मिल जाएगा.

अगले चरण में 6 से 9 महीनों में कंस्ट्रक्शन पूरा होने और अगले तीन महीनों में फिनिशिंग और नागरिक सुविधाएं पूरी होने वाले टावर्स हैं. इन्हें सौंपे जाने पर 10- 12 हज़ार और खरीदारों का समाधान होगा.

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तीसरे चरण में वे प्रोजेक्ट हैं जिनमें अब तक तो काम शुरू नहीं हुआ है. ऐसे में खरीदारों को या तो जमा रकम ब्याज वापस मिले या फिर दूसरे प्रोजेक्ट में फ्लैट मिलने का विकल्प.

लाहोटी ने ये भी कहा कि उनके सुझावों पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी, आम्रपाली और सहयोगी कंपनियों के अधिकारी, फ्लैट खरीदारों के नुमाइंदों की मीटिंग के साथ मौके पर मुआयना कर लें. सब कुछ तय करके काम आगे बढ़ाएं. फिलहाल 6 अप्रैल से पहले ये कवायद होनी है. 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. तब तस्वीर साफ होगी कि आखिर कौन कितने कदम आगे बढ़ा और किस दिशा में.

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