कृषि पर महामंथन: मधुमक्खी पालन से मिलने वाले उत्पाद सोने से भी महंगे

केंद्र की मोदी सरकार साल 2020 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है, इसके लिए पारंपरिक खेती के अलावा अन्य तकनीक और नई तरह की किसानी पर भी जोर है. मधुमक्खी पालन से आसपास के फसलों की पैदावार भी बढ़ती है और इससे मिलने वाले उत्पादों से अच्छा मुनाफा भी होता है.

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नेशनल बी बोर्ड के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर बीएल सारस्वत नेशनल बी बोर्ड के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर बीएल सारस्वत

विवेक पाठक

  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

आमतौर पर लोग मधुमक्खी को उससे मिलने वाले शहद और डंक के लिए जाना जाता है. लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि मधुमक्खियों से ऐसे प्रोडक्ट भी मिलते हैं जिनकी कीमत सोने से भी ज्यादा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नानाजी देशमुख के जन्म शाताब्दी समारोह के अवसर पर कृषि अनुसंधान परिषद में एक कार्यक्रम में मधुमक्खी पालन पर जोर देते हुए कहा था कि दुनिया में रासायनिक मोम की जगह मधु से तैयार होने वाले मोम की व्यापक मांग है. किसान मधुमक्खी पालन के दौरान मोम भी प्राप्त करते हैं, जिसकी बिक्री से उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो सकती है.

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नेशनल बी बोर्ड के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर बीएल सारस्वत ने 'आजतक' के कृषि समिट में बताया कि पहले मधुमक्खियों के डंक का इस्तेमाल दर्द निवारक के तौर पर किया जाता था, लेकिन इससे मधुमक्खियां मर जाती थीं. लोकिन अब बी वेनम निकालने की तकनीक विकसित हो गई हैं जिसकी कीमत सोने से भी ज्यादा है और मांग बहुत ऊंची है. 

उन्होंने कहा कि मधुमक्खियों से मिलने वाला शहद इनका सबसे सस्ता पदार्थ है जिसका इस्तेमाल दवाईयों और सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है.

उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन के लिए किसान कल्याण मंत्रालय महज शहद के लिए प्रमोशन नहीं कर रही. मधमक्खी पालन से फसलों को भी काफी मदद मिलती है. फसलों के फूलने के समय मधुमक्खियों की कॉलोनी रखने से अभूतपूर्व परिणाम देखने को मिले हैं. सरसों की फसल के फूलने के समय मधुमक्खियों की कॉलोनी खेत में रखने से परागीकरण की प्रक्रिया तेज होती है. आजकल मधुमक्खी पालक अपनी कॉलोनियों को किराए पर भी देते हैं. 

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बीएल सारस्वत ने कहा कि मधुमक्खियों से मिलने वाले बी वेनम, बी पोलिंग, बी वैक्स, रॉयल जेली ऐसे उत्पाद है जिससे मुनाफा काफी अधिक होता है.  उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन करने के लिए किसान डेढ़ लाख से दो लाख रुपये से शुरूआत कर सकता है. इसके लिए बागवानी विभाग ट्रेनिंग देती है और श्रृण पर 40 फीसदी छूट भी मिलती है.

उन्होंने कहा कि मधुमक्खिया हमारे पर्यावरण को शुद्ध भी करती हैं. परागीकरण के समय उड़ने वाले पराग वातावरण को दूषित करते हैं जिससे एलर्जी होती है, लेकिन मधुमक्खियां परागों को एकत्रित कर वातावरण को साफ करती हैं और इसे सुपर फूड में बदल देती हैं.

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