गुरुग्राम में बढ़ते प्रदूषण के चलते सूने पड़े बाजार और मॉल्स

गुरुग्राम की सबसे बड़ी खासियत उसके बड़े-बड़े मॉल्स और शॉपिंग काम्प्लेक्स हैं. स्मॉग और बढ़ते प्रदूषण के चलते इन दिनों गुरुग्राम के ज्यादातर बाजार और मॉल्स सूने पड़े हैं. वीकेंड पर लगने वाली रौनक गायब थी और जो लोग दिखे भी वे बहुत जरूरी खरीदारी के लिए ही निकले थे.

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सुने पड़े बाजार और मॉल्स सुने पड़े बाजार और मॉल्स

कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह / स्मिता ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST

दिल्ली और नोएडा की तरह गुरुग्राम भी बढ़ते प्रदूषण की मार झेल रहा है. आईटी हब कहे जाने वाले गुरुग्राम में स्मॉग का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. लोग परेशान हैं और सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाने पर मायूस भी हैं.

देश के युवा बेहतर भविष्य का सपना ले कर गुरुग्राम का रुख करते हैं. हाईराइजिंग सोसायटी और बड़े-बड़े मल्टीनेशनल कंपनियों के दफ्तर इस बात की तस्दीक करते हैं कि ये शहर हर दिन प्रगति के पथ पर बढ़ रहा है. लेकिन, अंदर से देखें तो ये शहर पूरी तरह खोखला हो चुका है. रोटी कपड़ा और मकान से ज्यादा जरूरी साफ पानी और साफ हवा है और दोनों ही चीजें गुरुग्राम से नदारद हैं. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि सरकार इस पर मौन है.

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खाली पड़े मॉल्स और बाजार

गुरुग्राम की सबसे बड़ी खासियत उसके बड़े-बड़े मॉल्स और शॉपिंग काम्प्लेक्स हैं. स्मॉग और बढ़ते प्रदूषण के चलते इन दिनों गुरुग्राम के ज्यादातर बाजार और मॉल्स सूने पड़े हैं. वीकेंड पर लगने वाली रौनक गायब थी और जो लोग दिखे भी वे बहुत जरूरी खरीदारी के लिए ही निकले थे.

गुरुग्राम के एक नामी कंपनी में काम करने वाले अभीष्ट का कहना है, "इन्फ्रास्ट्रक्चर सब कुछ नहीं होता, आप खुद ही देखिए यहां हर तरफ कंस्ट्रक्शन चल रहा है पर सरकारी हो या गैर सरकारी कोई भी नियम फॉलो नहीं कर रहा. किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट को ढंका नहीं गया है. नतीजा देख लीजिए एक पूरा दिन कोई स्वस्थ इंसान अगर गुरुग्राम की सडकों पर गुजारे तो शाम तक वो बीमार हो जाएगा".

यही कारण है कि लोग इन दिनों घरो में रहना ही पसंद कर रहे हैं, दफ्तर या स्कूल कॉलेज जाना तो मजबूरी है वरना नाइटलाइफ के लिए मशहूर गुरुग्राम के नाइट क्लब्स से भी इन दिनों रौनक गायब है.

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जिस शहर से हरियाणा सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व हासिल है उसकी ऐसी दुर्दशा अपने आप में कई सवाल खड़े करती है. टूटी सड़कें, जाम पड़ी नालियां और साफ पानी के अभाव से पहले ही ये शहर परेशान था अब जीने की सबसे बड़ी जरूरत साफ हवा को भी यहां के लोग तरस रहे हैं. ऐसे में क्या ये कहना क्या गलत है कि "सपनों के शहर को ग्रहण लग गया है".

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