माकपा ने आज अपनी 22वीं पार्टी कांग्रेस में सीताराम येचुरी को सर्वसम्मति से पुन: अपना महासचिव चुन लिया. इस पद के लिये दूसरी बार उनके चयन को वाम दल की हाल ही में चयनित 95 सदस्यीय केंद्रीय समिति ने स्वीकृति दी. 65 वर्षीय येचुरी ने वर्ष 2015 में विशाखापत्तनम में संपन्न 21 वीं पार्टी कांग्रेस में प्रकाश करात का स्थान लिया था और पार्टी महासचिव बने थे. सीताराम येचुरी के सामने प्रकाश करात प्रमुख प्रतिद्वंद्वी माने जा रहे थे.
हैदराबाद में चल रहे पार्टी कांग्रेस से इतर संवाददाता सम्मेलन में प्रकाश करात ने कहा था कि हमारी पार्टी में हमेशा बहुमत और अल्पमत की राय रही है. हमारी सभी राजनीतिक चर्चा में अलग-अलग राय होना सामान्य बात है. यह नई बात नहीं है, जब अलग-अलग राय जाहिर की जाती है तो मतदान के जरिये सामूहिक रूप से फैसला किया जाता है. इसके बाद यह पार्टी की सामूहिक राय बन जाती है.
करात ने कहा कि हमारी पार्टी कांग्रेस में अब तक किसी प्रस्ताव पर गुप्त मतदान का कोई उदाहरण नहीं है. ऐसा कभी नहीं हुआ है. यह हमारी पार्टी का दस्तूर नहीं रहा है. हमारे यहां कभी ऐसी परिपाटी नहीं रही, लेकिन यह निर्णय करने वाला सर्वोच्च निकाय है. देखते हैं कि हमारे प्रतिनिधि इस बारे में क्या बोलते हैं.'
कांग्रेस में येचुरी ने कहा था कि अगर पार्टी धर्मनिरपेक्ष दलों के बीच अंतर करेगी तो बीजेपी इस अवसर का फायदा उठाएगी. उनकी राय को कई राज्यों के प्रतिनिधियों से समर्थन मिला. इसमें महत्वपूर्ण मुद्दा यह था कि क्या माकपा को बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस समेत 'सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों' के साथ हाथ मिलाना चाहिए?
जहां करात गुट कांग्रेस के साथ किसी भी तालमेल के खिलाफ है, वहीं येचुरी गुट ने बदले हुए परिदृश्य और खासतौर पर त्रिपुरा में माकपा नीत वाम मोर्चा की हार तथा उत्तर प्रदेश और बिहार में हालिया लोकसभा सीटों के लिए उपचुनाव में एकजुट विपक्ष की जीत के बाद बीजेपी से मुकाबला करने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष दलों से हाथ मिलाने का समर्थन किया है.
राहुल विश्वकर्मा