दिल्ली हाईकोर्ट ने सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में लगातार हो रही देरी पर चिंता जताते हुए कहा है कि हाईलेवल कमेटी की ओर से इस मामले की जांच होनी चाहिए. हाईकोर्ट ने एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने दिल्ली के मुख्य सचिव को स्थिति का जायजा लेने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों के साथ मीटिंग कर रिपोर्ट देने को कहा है.
हाईकोर्ट ने कहा है कि सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण के लिए 27 अगस्त 2004 को एक सहमति पत्र पर साइन हुआ था और इस परियोजना के लिए जिम्मेदार एजेंसी दिल्ली टूरिज्म एंड ट्रांसपोर्ट डेवलप्मेंट कॉर्पोरेशन (DTTDC) ने 544 करोड़ रूपये का शुरुआती अनुमान दिया था.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि DTTDC के मुताबिक निर्माण की कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है और उसने नवम्बर 2017 में दिये एक हलफनामे में कहा कि कीमत बढ़कर 1,575 करोड़ रूपये हो गई है. हाइकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 1,334.10 करोड़ रूपये का भुगतान पहले ही कर दिया है लेकिन पुल अभी पूरा होने के करीब नहीं है.
इस पर DTTDC ने हाईकोर्ट को बताया कि 250 करोड़ रूपये का भुगतान हो जाने पर इस वर्ष जून तक सिग्नेचर ब्रिज का काम पूरा हो जाएगा. प्रतिभा चोपड़ा नाम की महिला वकील ने जनहित याचिका दायर की है जिसमें सिग्नेचर ब्रिज परियोजना में देरी का आरोप लगाया गया है. याचिका में बताया गया है कि पुल का निर्माण 2011 के बाद कई समयसीमा पार होने के बाद भी अब तक पूरा नहीं हुआ है.
पूनम शर्मा