जानिए, कैसे अरबों की संपत्ति का मालिक बन गया संत आसाराम?

रेप के आरोप में जेल में बंद कथित धार्मिक गुरु आसाराम बापू एक बार फिर सुर्खियों में हैं. आयकर विभाग की जांच में उनकी 2300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की अघोषित संपत्ति सामने आई है. इस आधार पर आयकर विभाग ने आसाराम के धर्मार्थ संस्थाओं को आयकर में दी जाने वाली राहत को बंद किए जाने की सिफारिश की है.

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धार्मिक गुरु आसाराम बापू धार्मिक गुरु आसाराम बापू

मुकेश कुमार

  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2016,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

रेप के आरोप में जेल में बंद कथित धार्मिक गुरु आसाराम बापू एक बार फिर सुर्खियों में हैं. आयकर विभाग की जांच में उनकी 2300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की अघोषित संपत्ति सामने आई है. इस आधार पर आयकर विभाग ने आसाराम के धर्मार्थ संस्थाओं को आयकर में दी जाने वाली राहत को बंद किए जाने की सिफारिश की है.

आसाराम खुद को संत बेशक कहता है, लेकिन उसके पास करोड़ों की दौलत है. वह करोड़ों में खेलता है, लेकिन उसका साम्राज्य कहां तक फैला है और उसके पास कितनी दौलत है, इसके बारे में पक्का अंदाजा कोई नहीं लगा पाया था. लेकिन कुछ दिन पहले सामने आए दस्तावेजी सबूतों से आसाराम की दौलत का सही-सही अंदाजा हो चुका है.

आसाराम ने काली दौलत जमा करने के लिए हर तरीका अपनाया है. उसके खिलाफ जांच में जो दस्तावेजी सबूत मिले, वो साबित करते हैं कि आसाराम ने टैक्स चोरी और सूदखोरी से लेकर ताकत के दम पर जमीन हथियाने का धंधा किया. दौलत की हवस ने उसे हवाला रैकेट का सबसे शातिर खिलाड़ी भी बना दिया.

धर्म और दौलत: आसाराम ऐसे बना धनकुबेर

  • आसाराम की मिल्किलत वाली काफी प्रॉपर्टी गैर-कानूनी हैं. इन जमीनों को गलत दस्तावेज रखने वाले भक्तों को फुसलाकर और अतिक्रमण के जरिए हासिल किया गया.
  • आसाराम के पास 400 ट्रस्ट हैं. उसके जरिए वह अपने पूरे साम्राज्य पर नियंत्रण रखता था. इनमें से दो सबसे अहम ट्रस्ट 'संत श्री आसारामजी आश्रम ट्रस्ट' और 'संत श्री आसारामजी महिला उत्थान ट्रस्ट' अहमदाबाद से चलाए जाते हैं.
  • आसाराम की संस्थाओं द्वारा बेचें जाने वाली पत्रिकाओं, प्रार्थना पुस्तकों, सीडी, साबुन, धूपबत्ती और तेल जैसे उत्पादों की बिक्री से, श्रद्धालुओं के चंदे से और आश्रम की हड़पी हुई जमीन पर खेती से भी आश्रम के खजाने में मोटी रकम आई.
  • 2013 में आसाराम की गिरफ्तारी तक आश्रम से प्रकाशित दो पत्रिकाओं ऋषिप्रसाद और लोक कल्याण सेतु की 14 लाख प्रतियां हर महीने बिकती थीं. इनसे सालाना 10 करोड़ रुपए के आसपास रकम आती थी.
  • धन बटोरने का सबसे बड़ा जरिया अनुयायियों को प्रवचन देना था. इसके लिए करीब 50 की तादाद में आयोजित सत्संग हुआ करते थे. दो या तीन दिनों के हरेक प्रवचन में उत्पादों की बिक्री से ही 1 करोड़ रुपये जुट लिए जाते थे. सबसे ज्यादा धन उगलने वाले तीन या चार सालाना गुरुपूर्णिमा के कार्यक्रम हुआ करते थे.
  • आसाराम के करीबी बताते हैं कि हर साल 10 से 20 भंडारे किए जाते थे. उनके लिए 150 करोड़ से लेकर 200 करोड़ तक चंदा लिया जाता था. इसकी तुलना में खाना बनाने और बांटने में खर्च की गई रकम नाममात्र की हुआ करती थी. 11000 योग वेदांत सेवा समितियों के जरिए चंदा इकट्ठा होता था.
  • —बेनामी जमीन-जायदाद के सौदे और वित्तीय लेनदेन करीब 2200 करोड़ रुपये से अधिक.  
  • 500 से अधिक लोगों को मोटी ब्याज दर पर 1635 करोड़ रुपये नकद कर्ज पर दिए गए.
  • अमेरिकी कंपनी सोहम इंक और कोस्टास इंक में 156 करोड़ रुपये के निवेश किए गए.
  • 8 करोड़ रुपये की रकम रिश्वत देने के लिए रखी गई थी.
  • इनका कुल योग 4500 करोड़ रुपये बैठता है. लेकिन मौजूदा बाजार दरों पर आसाराम का कुल गोरखधंधा 10000 करोड़ रुपये से अधिक का होगा.

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