जानें, शिव के पांच प्रतीक और उनका महत्व

सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है. भोलेनाथ को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है. वह अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं करते हैं. आइए जानते हैं शिव से जुड़े 5 प्रतीक और उनकी महिमा.

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क्या है शिव के 5 प्रतीकों का अर्थ क्या है शिव के 5 प्रतीकों का अर्थ

प्रज्ञा बाजपेयी

  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 2:49 PM IST

सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है. आज के दिन भोलेनाथ की पूजा की जाती है. वह अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं करते हैं. आइए जानते हैं शिव से जुड़े 5 प्रतीक और उनकी महिमा.

रुद्राक्ष का अर्थ है - रूद्र का अक्ष , माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है. रुद्राक्ष को प्राचीन काल से आभूषण के रूप में,सुरक्षा के लिए,ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है. कुल मिलाकर मुख्य रूप से 17 प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं,परन्तु 12 मुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग में आते हैं. रुद्राक्ष कलाई , कंठ और ह्रदय पर धारण किया जा सकता है. इसे कंठ प्रदेश तक धारण करना सर्वोत्तम होगा.

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- कलाई में बारह,कंठ में छत्तीस और ह्रदय पर एक सौ आठ दानो को धारण करना चाहिए.

- एक दाना भी धारण कर सकते हैं पर यह दाना ह्रदय तक होना चाहिए तथा लाल धागे में होना चाहिए.

- रुद्राक्ष को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को या किसी भी सोमवार को धारण कर सकते हैं. फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी अर्थात शिवरात्री को रुद्राक्ष धारण करना सबसे उत्तम होता है.

- रुद्राक्ष धारण करने के पूर्व उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए तथा उसी माला या रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए 

- जो लोग भी रुद्राक्ष धारण करते हैं उन्हें सात्विक रहना चाहिए तथा आचरण को शुद्ध रखना चाहिए अन्यथा रुद्राक्ष लाभकारी नहीं होगा.

डमरू

- भगवान शिव ही नृत्य और संगीत के प्रवर्तक हैं .

- शिव जी के डमरू में न केवल सातों सुर हैं बल्कि उसके अन्दर वर्णमाला भी है.

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- शिव जी का डमरू बजाना आनंद और मंगल का द्योतक है. 

- वे डमरू बजाकर भी खुश होते हैं और डमरू सुनकर भी.

- नित्य अगर घर में शिव स्तुति डमरू बजाकर की जाय तो घर में कभी अमंगल नहीं होता.

त्रिशूल

- दुनिया की कोई भी शक्ति हो - दैहिक, दैविक या भौतिक , शिव के त्रिशूल के आगे नहीं टिक सकती.

- शिव का त्रिशूल हर व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार दंड देता है.

- घर में सुख समृद्धि के लिए , मुख्य द्वार के ऊपर बीचों बीच त्रिशूल लगायें या बनायें.

- त्रिशूल आकृति तभी धारण करें , जब आप का मन,वचन और कर्म पर पूर्ण नियंत्रण हो.

त्रिपुंड

- सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण तीनों ही गुणों को नियंत्रित करने के कारण , शिव जी त्रिपुंड तिलक प्रयोग करते हैं.

- यह त्रिपुंड सफ़ेद चन्दन का होता है .

- कोई भी व्यक्ति जो शिव का भक्त हो , त्रिपुंड का प्रयोग कर सकता है.

- त्रिपुंड के बीच में लाल रंग का बिंदु , विशेष दशाओं में ही लगाना चाहिए.

- ध्यान या मंत्र जाप करने के समय त्रिपुंड लगाने के परिणाम अत्यंत शुभ होते हैं .

भस्म

- भगवान शिव इस दुनिया के सारे आकर्षण से मुक्त हैं.

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- उनके लिए ये दुनिया , मोह-माया , सब कुछ एक राख से ज्यादा कुछ नहीं है.

- सब कुछ एक दिन भस्मीभूत होकर समाप्त हो जाएगा , भस्म इसी बात का प्रतीक है.

- शिव जी का भस्म से भी अभिषेक होता है , जिससे वैराग्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है.

- घर में धूप बत्ती की राख से, शिव जी का अभिषेक कर सकते हैं.

- परन्तु महिलाओं को भस्म से अभिषेक नहीं करना चाहिए.

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