टेक्निकल चार्ट पर उभरती रुपए की डराने वाली तस्वीर

मौजूदा स्तर से रुपए की तीखी गिरावट के परिणाम गंभीर हो सकते हैं. साल की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया 10.50 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है.

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रुपये में गिरावट रुपये में गिरावट

संध्या द्विवेदी / मंजीत ठाकुर

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  • 03 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST

डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए की कहानी अब नई नहीं. 1 डॉलर की कीमत 71 रुपए के पार निकल गई है. बाजारों (शेयर, कमोडिटी, करंसी) को टेक्नीकल चार्ट्स पर पढ़ने वाले एक्सपर्ट इस गिरावट के और गहराने का अंदेशा जता रहे हैं. मौजूदा स्तर से रुपए की तीखी गिरावट के परिणाम गंभीर हो सकते हैं. गौरतलब है कि साल की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया 10.50 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है.

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तकनीकी चार्ट पर डरावनी तस्वीर

इंडेक्स जीनियस इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स के निदेशक अमित हाचरेकर कहते हैं ''टेक्निकल चार्ट पर रुपए ने पांच साल के दायरे को तोड़ा है. यानी पांच साल तक एक बड़े दायरे में घूमने के बाद उससे बाहर निकलना. तकनीकी भाषा में इसे लॉन्गटर्म टेक्नीकल ब्रेकआउट कहते हैं.  ऐसे ब्रेक आउट के बाद बड़ी चाल की संभावना बनती है.शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक निफ्टी ने 2014 में पांच साल का ब्रेक आउट तोड़ा था. (निफ्टी और रुपए दोनों के ब्रेकआउट चार्ट नीचे देखें) उसके बाद से अब तक 86 फीसदी की तेजी निफ्टी में देखने को मिल चुकी है.''

रुपए ने भी अगर इसी तरह के पैटर्न को फॉलो किया तो 1 डॉलर की कीमत का अनुमान ही अर्थशात्रियों के पसीने छुड़ाने को काफी है. हालांकि बाजार में अभी विशेषज्ञ किसी बहुत बड़ी गिरावट की आशंका नहीं जता रहे हैं और 73.50 के स्तर को अगला अहम सपोर्ट (समर्थन स्तर) मान के चल रहे हैं.

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इस गिरावट के परिणाम गंभीर

रुपए की गिरावट से आम आदमी का बजट बिगड़ने की बात छोड़िए अब बात देश के बजट की है. विदेश में घूमना और पढ़ाई करने से इतर कमजोर रुपया सरकार का आयात बिल बढ़ाएगा. राजकोषीय घाटे का बोझ और बढ़ सकता है.

अगर रुपया आने वाले महीनों में 80-85 जैसे स्तर दिखाता है, तो जरा उन कर्जों के बारे में सोचिए जो भारतीय कंपनियों ने विदेश से ले रखें हैं या लेने वाले हैं. बड़े कर्जों की बात हैं तो बुलेट ट्रेन जैसे प्रोजेक्ट के लिए भारी भरकम कर्ज को नहीं भूलना चाहिए. यह कर्ज अगर भारत को 0 फीसदी पर भी मिला होगा तब भी इसको चुकाने के लिए पहले से ज्यादा रुपए फूंकने होंगे.   

अब आरबीआई के बस की नहीं!

आने वाले हफ्तों में भारतीय रिजर्व बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार 400 बिलियन डॉलर के नीचे खिसकता दिखेगा. आपको बता दें रुपए को सपोर्ट देने के लिए आरबीआई जो डॉलर बेचता है, उसका असर 2 हफ्ते बाद देखने को मिलता है.

यानी बीते दिनों की कसरत का असर अभी दिखना बाकी है. 70 के स्तर के बाद आरबीआई रुपए को सपोर्ट देने में कितना सहज होगा यह देखना बाकी है. डॉलर के मुकाबले दुनियाभर की करंसी में गिरावट आई थी. रुपया फिलहाल इस गिरावट से अछूता था.

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एक्सपर्ट मान रहे थे कि 70 के आस पास तक रुपए की गिरावट लाजमी है. लेकिन इसके आगे की गिरावट शायद देसी और विदेशी दोनों हो सकते हैं. सरकार रुपए की कमजोरी थामने के लिए क्या कदम उठाती है अब यह देखना बाकी.

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