वरिष्ठ IAS अध‍िकारी प्रवीर कुमार को नोएडा के सभी पदों से हटाया गया

प्रवीर को यूपीएसआरटीसी का अध्यक्ष बनाने के आलावा दिल्ली स्थानिक आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है. उनकी जगह संजय अग्रवाल को लाया गया है.

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IAS प्रवीर कुमार IAS प्रवीर कुमार

अनूप श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 17 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रवीर कुमार को एक महीने के अंदर दूसरा बड़ा झटका लगा है. प्रदेश की अखि‍लेश यादव सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मंगलवार को प्रवीर कुमार को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के चेयरमैन के पदों से हटा दिया. उन्हें तत्काल कार्यमुक्त भी कर दिया गया. उनकी जगह संजय अग्रवाल को तीनों विकास प्राधिकरणों का चार्ज दिया गया है.

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संजय अग्रवाल को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चहेते अफसरों में से एक माना जाता है. प्रवीर को यूपीएसआरटीसी का अध्यक्ष बनाने के आलावा दिल्ली स्थानिक आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है. संजय अग्रवाल अभी उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन हैं.

जुलाई में ही सौंपा गया था प्रवीर को चार्ज
प्रवीर कुमार को जुलाई के महीने में ही ये चार्ज सौंपे गए थे. नोएडा जाने से पहले प्रवीर कुछ दिनों तक कार्यवाहक मुख्य सचिव के तौर पर भी काम कर चुके हैं. प्रवीर कुमार अखिलेश के चहेते अफसरों मे गिने जाते हैं. इससे पहले इन तीनों अथॉरिटी के चेयरमैन रमारमण थे. पिछले कई वर्षों से इन सभी पदों पर काबिज रमारमण को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद अखिलेश सरकार को हटाना पड़ा था. उनको नोएडा प्राधिकरण के सीईओ का चार्ज सौंपकर बाकी तीनों पदों से कार्यमुक्त कर दिया गया था.

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प्रवीर कुमार को यूपीएसआरटीसी (उत्तर प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन) के चेयरमैन पद पर भेजा गया है, जो सचिवालय के बाहर मुख्य सचिव से सीनियर अफसरों के लिए एक मुफीद जगह मानी जाती है. साथ ही दिल्ली के स्थानिक आयुक्त के पद का भी प्रभार दिया गया है.

प्रवीर और आजम के बीच है छत्तीस का आंकड़ा
प्रवीर कुमार की गिनती भले ही अच्छे अफसरों में होती हो, लेकिन वरिष्ठ मंत्री आजम खान से उनके रिश्ते जगजाहिर हैं. प्रवीर कभी आजम की आंख के तारे हुआ करते थे. आजम ने ही उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाकर प्रमुख सचिव नगर विकास के पद पर आसीन करवाया था. लेकिन बाद में किन्ही कारणों से आजम ने एक लंबा-चौड़ा पत्र लिखकर उन्हें मुस्लिम विरोधी ठहरा दिया.

इसके बाद प्रमुख सचिव नगर विकास से हटने के बाद वे प्रमुख सचिव चिकित्सा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग में आसीन हुए. बाद में केंद्र में चले गए थे.

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