अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट की दो टूक- गुरुवार को दलीलें खत्म करे हिंदू पक्ष, हमारे पास वक्त नहीं

अयोध्या मामलेपर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुरुवार भोजनावकाश से पहले तक हिन्दू पक्षकार अपनी दलीले खत्म कर लें. निर्मोही अखाड़ा को गुरुवार दोपहर बाद एक घंटा मिलेगा. मुस्लिम पक्षकार धवन शुक्रवार सुबह सूट 4 पर बहस शुरू करेंगे. कोर्ट ने कहा कि अब सबको अलग अलग सुनने का समय नहीं. आप हमसे वो चीज़ (समय) मांग रहे हो जो हमारे पास है ही नहीं.

Advertisement
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई चल रही है (फोटो-PTI) रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई चल रही है (फोटो-PTI)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:37 PM IST

  • SC में निर्मोही अखाड़ा को गुरुवार दोपहर बाद एक घंटा मिलेगा
  • मुस्लिम पक्षकार धवन शुक्रवार सुबह सूट 4 पर बहस शुरू करेंगे

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई चल रही है. सोमवार को इस मामले की सुनवाई का 34वां दिन था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुरुवार भोजनावकाश से पहले तक हिन्दू पक्षकार अपनी दलीले खत्म कर लें. निर्मोही अखाड़ा को गुरुवार दोपहर बाद एक घंटा मिलेगा. मुस्लिम पक्षकार धवन शुक्रवार सुबह सूट 4 पर बहस शुरू करेंगे. कोर्ट ने कहा कि अब सबको अलग-अलग सुनने का समय नहीं. आप हमसे वो चीज़ (समय) मांग रहे हो जो हमारे पास है ही नहीं.

Advertisement

राम लला विराजमान मध्यस्थता प्रक्रिया से अलग

राम लला विराजमान के वकीलों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह अयोध्या विवाद मामले में मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग नहीं ले रहे हैं. कोर्ट मौजूदा समय में मामले पर रोजाना सुनवाई कर रही है, जिसके 18 अक्टूबर तक या उससे पहले पूरा हो जाना है. सुनवाई के 33वें दिन राम लला विराजमान की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सी.एस.वैद्यनाथन ने अदालत के समक्ष बहस में कहा कि "हम मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग नहीं ले रहे हैं..सभी तरह की रिपोर्ट आसपास चल रही है. हम बहुत स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम भाग नहीं ले रहे हैं."

वहीं राम लल्ला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के पराशरन ने दलीलें दीं. उन्होंने सु्प्रीम कोर्ट में कहा कि हम दिव्यता को क्यों मानते हैं? ये एक जरूरत थी. देवत्व के बिना हिंदू धर्म नहीं हो सकता. ईश्वर एक है. हालांकि रूप भिन्न हो सकते हैं. प्रत्येक मूर्ति का एक अलग रूप है. एक उद्देश्य है.

Advertisement

भगवान का रूप क्या है?

पराशरन ने कहा कि वैसे आदमी आधे आदमी और आधे जानवर के रूप में नहीं आ सकता. भगवान के लिए इस तरह के रूप में प्रकट होना संभव है. विभिन्न देवताओं की पूजा के विभिन्न रूप हैं. भगवान का रूप क्या है? कोई नहीं जानता. छोटे से छोटा और सबसे बड़ा से भी बड़ा. उपनिषदों के हवाले से यह तर्क दिया जाता है कि जब भगवान आकारहीन और निराकार होते हैं तो साधारण उपासकों के लिए एक रूप या मूर्ति के अभाव में ईश्वर का अनुभव करना कठिन होता है.

वरिष्ठ वकील ने कहा कि भगवान को अपने लोगों की रक्षा के लिए संरक्षित करना होगा. कोई भी मूर्ति का मालिक नहीं है. इसका विश्वास है जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वह कभी पैदा नहीं होता और वह कभी नहीं मरता. उसकी कोई शुरुआत और अंत नहीं है. लोगों को पूजा करने के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए अभिव्यक्ति को बनाए रखने की आवश्यकता थी. दिव्यता के बाद ही मूर्ति पवित्र हो जाती है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 5 अगस्त से इस मामले की सुनवाई जारी है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मामले की सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर तक का समय दिया है. CJI का कहना है कि अगर मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी नहीं हुई तो मामला लंबा खिंच सकता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement