प्रेग्नेंसी पर कोरोना वायरस के असर की नई रिपोर्ट परेशान करने वाली है. एक नए रिसर्च के मुताबिक प्लेसेंटा (गर्भनाल) में कोरोना वायरस का इंफेक्शन होने की वजह से प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में गर्भपात का खतरा भी हो सकता है. यह रिसर्च अमेरिका के वैज्ञानिकों ने की है. अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, ऐसी कई रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें भ्रूण में कई तरह की परेशानियां और गर्भपात का जिक्र किया गया है.
रिसर्च में इस बात की संभावना जताई गई है कि भ्रूण के विकास में रूकावट या गर्भपात, गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान प्लेसेंटा में Covid-19 के संक्रमण की वजह से हो सकती है. शोधकर्ताओं ने कहा, 'प्लेसेंटा के वायरोलॉजिकल निष्कर्ष में यह बात निकलकर सामने आई है कि कोरोना से संक्रमित गर्भवती महिला का दूसरे तिमाही में गर्भपात, प्लेसेंटा में SARS-CoV-2 के इंफेक्शन की वजह से भी हो सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार Lausanne University Hospital में एक गर्भवती महिला अपनी दूसरे ट्राइमेस्टर में डॉक्टर से चेकअप कराने आई थी. महिला को 102.5 डिग्री बुखार, मांसपेशियों में दर्द, थकावट, गले में खराश, दस्त और सूखी खांसी की समस्या थी. दो दिनों के बाद उसका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया और उसे गर्भाशय संकुचन की भी समस्या होने लगी थी. महिला को दोबारा असप्ताल में भर्ती कराया गया जहां 10 घंटे के लेबर पेन के बाद उसने मरे हुए बच्चे को जन्म दिया.
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महिला का Covid-19 के लिए किया गया नासोफेरीन्जियल स्वैब पॉजिटिव आया था लेकिन प्रसव के दौरान उसके ब्लड और वेजाइनल स्वैब निगेटिव आए. वहीं बच्चे के जन्म के कुछ ही मिनटों के भीतर डॉक्टरों ने उसके मुंह, मल और खून के स्वैब के सैंपल लिए और वो भी निगेटिव आए.
हालांकि, महिला के गर्भनाल से जुड़े प्लेसेंटा से मिले दो स्वैब और बायोप्सी Covid-19 के टेस्ट में पॉजिटिव आए. इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि Covid-19 से संक्रमित गर्भवती महिला के गर्भपात की वजह वायरस से प्लेसेंटा इंफेक्शन होना है. शोधकर्ताओं के अनुसार इस मामले में भ्रूण संक्रमित नहीं था जबकि मां और प्लेसेंटा में कोरोना का संक्रमण फैल चुका था.
द लांसेट में प्रकाशित एक अन्य स्टडी में भी इस बात का जिक्र है कि 2002 से 2003 के बीच फैली SARS महामारी से संक्रमित 12 गर्भवती महिलाओं में से 57 फीसदी का उनके पहले ट्राइमेस्टर में गर्भपात हुआ था. 40 फीसदी महिलाओं का दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में भ्रूण का विकास रुक गया था जबकि 80 फीसदी महिलाओं ने समय से पहले बच्चे को जन्म दिया.
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