सेबी बोर्ड मीटिंग: म्युचुअल फंड में निवेश होगा सस्ता, इन कंपनियों में खत्म होगी CMD पोस्ट

मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने शेयर बाजार में बड़े बदलाव की और कदम उठाते हुए कई अहम फैसले लिए हैं. इन फैसलों में जहां निवेश को आसान बनाने के लिए फैसले लिए गए हैं.

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सेबी चेयरमैन अजय त्यागी (File Photo) सेबी चेयरमैन अजय त्यागी (File Photo)

विकास जोशी

  • नई दिल्ली,
  • 29 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST

मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने शेयर बाजार में बड़े बदलाव की और कदम उठाते हुए कई अहम फैसले लिए हैं. इन फैसलों में जहां निवेश को आसान बनाने के लिए फैसले लिए गए हैं. वहीं, लिस्टेड कंपनियों से जुड़े कई नियम भी बदल दिए गए हैं. सेबी की बोर्ड मीटिंग में कोटक पैनल की सिफार‍िशों पर चर्चा हुई. इस दौरान पैनल की 80 सिफार‍िशों में से  40 को बिना बदलाव किए स्वीकार कर लिया गया है. वहीं, 15 में कुछ बदलाव कर इन्हें अपनाया गया है.

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सस्ता होगा म्युचुअल फंड में निवेश:

निवेशकों के लिए अब म्युचुअल फंड में निवेश करना सस्ता हो जाएगा. सेबी बोर्ड ने इस बैठक में म्युचुअल फंड पर एक्जिट लोड में 0.15 फीसदी की कटौती करने के फैसले को मंजूरी दे दी है. इस मंजूरी के बाद जल्द ही म्युचुअल फंड पर एक्जिट लोड 0.20 फीसदी से घटकर 0.05 फीसदी हो जाएगा. सेबी प्रमुख अजय त्यागी का कहना है कि इससे निवेश के खर्च में कमी आएगी.

खत्म होंगी सीएमडी की पोस्ट:

सेबी बोर्ड की बैठक में मार्केट वैल्यू के बूते टॉप 500 लिस्टेड कंपनियों को लेकर भी अहम फैसला लिया गया. बैठक के बाद त्यागी ने बताया कि इन कंपनियों को सीएमडी यानी चेयरमैन और एमडी/सीईओ की पोस्ट को दो भागों में बांटना होगा. इस फैसले का असर यह होगा कि इन कंपनियों में अब कोई एक व्यक्ति सीएमडी नहीं होगा. इसके साथ ही सेबी बोर्ड ने इंडिविजुअल डायरेक्टर्स की हिस्सेदारी 10 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दी है.

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इन कंपनियों के लिए मुश्क‍िल हुई राह

सेबी ने दिवालिया हो चुकी कंपनियों के लिए भी थोड़ी राह मुश्क‍िल कर दी है. इनके प्रति सख्त कदम उठाने का संकेत देते हुए त्यागी ने कहा कि ऐसी कंपनियां अगर एक्सचेंज के नियमों का अनुपालन ढंग से नहीं करती हैं, तो प्रमोटर्स की शेयरहोल्ड‍िंग सीज की जा सकेगी.

सेबी के अन्य अहम फैसले

- लिस्टेड कंपनियों में निदेशकों की अध‍िकतम संख्या 7 होगी. यह नया नियम 1 अप्रैल, 2020 से लागू होगा.

-टिक-बाई-टिक डाटा मिलेगा फ्री.

-एंजल फंड्स के लिए नियमों में ढील दी है. इन फंड्स के लिए मिनिमम कॉर्पस की शर्त को आसान कर दिया गया है. अब इन्हें 10 करोड़ की बजाय 5 करोड़ का मिनिमम कॉर्पस रखना होगा.

- सेबी ने रिटेल इन्वेस्टर्स की खातिर एफएंडओ मार्केट में बदलाव करने का संकेत भी दिया है. इसके साथ ही एफएंडओ ट्रेडिंग के मौजूदा नॉर्म्स को बढ़ाया गया है. 

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