समलैंगिकता को अपराध घोषित करने से जुड़ी भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए भारतीय अंग्रेजी लेखक विक्रम सेठ ने कहा कि यह फैसला 'नैतिक रूप से बेकार और बौद्धिक रूप से सतही है.'
कोलकाता लिटररी मीट के तीसरे संस्करण के एक सेशन के दौरान उन्होंने कहा, 'सिर्फ मुट्ठीभर आबादी होने के कारण क्या आप उनके बुनियादी अधिकार को भुला देंगे? यह नैतिक रूप से बेकार और बौद्धिक रूप से सतही है.'
'ए सुटेबल ब्वॉय' उपन्यास से मशहूर हुए विक्रम सेठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खुलेआम आलोचना की. इससे पहले भी वे धारा 377 की मुखालफत कर चुके हैं.
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धारा 377 को जायज ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विक्रम सेठ के विचार
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