दिल्ली का 'बॉस' कौन? SC ने कहा- टेक्न‍िकल ग्राउंड पर LG न लटकाए दिल्ली सरकार के फैसले

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अपनी हदों में भी रहने को कहा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी टिप्पणी की कि पब्ल‍िक ऑर्डर, पुलिस और जमीन ये विषय दिल्ली सरकार के पास नहीं हैं. इन पर केंद्र का अधिकार है.

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सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट

अंकुर कुमार / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली ,
  • 02 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST

दिल्ली की आम आदमी सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर मतभेद किसी से छिपी नहीं है. दिल्ली सरकार बार बार एलजी पर फाइलों को लटकाने का आरोप लगाते रहती है. ऐसे में इस मामले में दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट का साथ मिला है. सुप्रीम कोर्ट के जस्ट‍िस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की है कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के फैसलों को एलजी की ओर से टेक्निकल ग्राउंड पर रोकना सही नहीं है.

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वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अपनी हदों में भी रहने को कहा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी टिप्पणी की कि पब्ल‍िक ऑर्डर, पुलिस और जमीन ये विषय दिल्ली सरकार के पास नहीं हैं. इन पर केंद्र का अधिकार है. इससे पहले चीफ जस्ट‍िस दीपक मिश्रा ने कहा कि दिल्ली में कामकाज के लिए अधिकतर नियम कायदे और कानून तो पहले ही बने हुए हैं. सरकार तो बस उन्हें लागू करती है. जहां नियम नहीं है, वहां दिल्ली सरकार नियम बना सकती है पर केंद्र यानी राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद.

इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने दिल्ली सरकार के कार्यपालक अधिकारों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को संविधान के अनुच्छेद 239a के तहत दिल्ली के लिए कानून बनाने का अधिकार है. एलजी की मदद और सलाह के लिए मंत्रिमंडल होता है. मंत्रिमंडल की सलाह उपराज्यपाल को माननी होती है.

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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने अधिकारों को लेकर दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले की सुनवाई हो रही है. मामले की सुनवाई सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ में गुरुवार को शुरू हुई. संवैधानिक पीठ में जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं.

फरवरी में अधिकारों को लेकर दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक पीठ को भेज दिया था. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और राजधानी के शासन में उनका फैसला अंतिम माना जाएगा.

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