आजाद भारत के पहले उप राष्ट्रपति और दिग्गज शिक्षाविद् सर्वपल्ली राधाकृष्णन को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि.
लंबी बीमारी के कारण आज के ही दिन यानी 17
अप्रैल 1975 को सर्वपल्ली राधाकृष्णन का देहांत हुआ
था. देश के दूसरे राष्ट्रपति होने के साथ ही सर्वपल्ली
को देश और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों में एक माना
जाता है.
जानें सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार
सर्वपल्ली कहते थे कि अच्छा टीचर वो है, जो ताउम्र सीखता रहता है और अपने छात्रों से सीखने में भी कोई परहेज नहीं दिखाता.
उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तानी में हुआ था.
सर्वपल्ली भारत के पहले उप राष्ट्रपति के तौर पर 1952 से 1962 तक अपना दो कार्यकाल पूरा किया. इसके बाद 1962 से 1967 तक उन्होंने दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर देश की बागडोर संभाली. उन्होंने गौतम बुद्धा, जीवन और दर्शन, धर्म और समाज, भारत और विश्व आदि पर किताबें भी लिखीं.
राधाकृष्णन को भारत रत्न, ब्रिटिश सरकार की ओर से ऑर्डर ऑफ मेरिट, नाइट बैचलर और टेम्पलटन प्राइज से नवाजा गया. यही नहीं साल 1962 में उन्हें 'ब्रिटिश अकेडमी' का सदस्य बनाया गया. पोप जॉन पाल ने 'गोल्डन स्पर' भेंट किया.
हर वर्ष 5 सितंबर को उनकी जयंती को पूरे देश में शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है और शिक्षकों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है.
किंग जॉर्ज पंचम ने उन्हें साल 1931 में नाइटहुड की उपाधि दी थी. लेकिन देश के आजाद होने के बाद उन्होंने अपने नाम के साथ सर लगाना बंद कर दिया.
मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज, मैसूर यूनिवर्सिटी कलकत्ता यूनिवर्सिटी और बीएचयू में उन्होंने बतौर शिक्षक पढ़ाया.
देश की फिलॅसफी को दुनिया के नक्शे पर जगह दिलाने वाले भी सर्वपल्ली राधाकृष्णन ही थे.
लंबी बीमारी के बाद 17 अप्रैल 1975 को उनका निधन हो गया. राधाकृष्णन को मरणोपरांत 1975 में अमेरिकी सरकार ने टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया. यह पुरस्कार धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिए प्रदान किया जाता है. इसे ग्रहण करने वाले वे प्रथम गैर-ईसाई संप्रदाय के व्यक्ति थे.