इस सांड को पसंद है साड़ी की दुकान में बैठना, जानें क्या है माजरा...

बनारस की एक साड़ी दुकान में जमा मिलता है एक सांड, पहलेपहल ग्राहक हो जाते हैं दंग और बाद में इनकी आदत सी लग जाती है...

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विष्णु नारायण

  • वाराणसी,
  • 03 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST

इन दिनों जब हमारे देश में सहिष्णुता-असहिष्णुता, गौहत्या और उसके मांस को लेकर व्यापक बहस हो रही है. लोग दो धड़ों में बंट गए से लगते हैं. इन तमाम खबरों के बीच भारत का एक ऐसा भी शहर है जहां गाय, बैल और सांड छुट्टा घूमते-फिरते देखे जा सकते हैं, और सिर्फ इतना ही नहीं वे बनारस की गलियों, चौक-चौराहों से होते हुए बनारस की दुकानों पर भी बैठे दिख जाते हैं.

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यहां जो तस्वीर आप ऊपर देख रहे हैं वह बनारस के सबसे मशहूर और व्यस्ततम गोदौलिया बाजार के एक साड़ी दुकान की है. इस दूकान में हर शाम आप इस सांड को बड़े आराम से बैठे देख सकते हैं. वह वहां किसी को परेशान नहीं करता और मस्ती से हवा खाता है. बनारस में और कहे तो हिन्दू रीति-रिवाजों के हिसाब से सांड को शिव की सवारी माना जाता है और शायद यही वजह है कि यहां सांड को विशेष सम्मान दिया जाता है.

बनारस में म्यूनिसिपैलिटी रखती है खयाल...
गौरतलब है कि अकेले बनारस की सड़कों पर घूमने वाले सांडों की संख्या सैकड़ों में है और यहां इनके देख-भाल म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा की जाती है. यहां सांडों को पकड़ कर बांधा नहीं जाता और वे बिना किसी को नुकसान पहुंचाए यूं ही घूमते रहते हैं.

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तो यदि किसी मौके पर आपको बनारस जाना पड़े तो वहां की बेसिक लाइफस्टाइल तो जान ही लें.

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