'सामना' में फिर मुस्ल‍िम वोट बैंक पर निशाना, 'जो परिवार नियोजन करे उसे ही मिले मताधिकार'

मुसलमानों के म‍ताधिकार पर पहले से विवादों में फंसी श‍िवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में इस ओर एक और विवादित लेख लिखा है. मुखपत्र के संपादक और पार्टी नेता संजय राउत ने अपने नए लेख में सिर्फ उन लोगों को मतदान का अध‍िकार देने की बात कही है जो परिवार नियोजन करवाते हैं.

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'सामना' के संपाद और शि‍वसेना नेता संजय राउत 'सामना' के संपाद और शि‍वसेना नेता संजय राउत

aajtak.in

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  • 19 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 8:09 AM IST

मुसलमानों के म‍ताधिकार पर पहले से विवादों में फंसी श‍िवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में इस ओर एक और विवादित लेख लिखा है. मुखपत्र के संपादक और पार्टी नेता संजय राउत ने अपने नए लेख में सिर्फ उन लोगों को मतदान का अध‍िकार देने की बात कही है जो परिवार नियोजन करवाते हैं.

संजय राउत ने अपने लेख में लिखा है, 'सिर्फ 14 करोड़ मुसलमानों की खुशामद करने में देश की राजनीति हमेशा मशगूल रहती है. अगर ये देश हिंदुओं का नहीं तो इस देश में धर्मनिरपेक्षता की आड़ में मुगलों का राज भी नहीं लाने दिया जाएगा. मुसलमान इस देश के दुश्मन नहीं, लेकिन मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति देश को नुकसान पहुंचा रही है. देश में सिर्फ उन लोगों को मतदान का अधिकार मिलना चाहिए जो परिवार नियोजन करवाते हैं.'

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यही नहीं, राउत ने नजमा हेपतुल्ला और मुख्तार अब्बास नकवी पर सवाल उठाने वाले एआईएमआईएम नेता असदउद्दीन ओवैसी पर भी कड़ी‍ टिप्पणी की है. राउत ने लिखा है कि मुख्तार अब्बास नकवी और नजम हेपतुल्ला दोनों वंदे मातरम गाते हैं.

गौरतलब है‍ कि इससे पहले 12 अप्रैल को छपे एक अन्य लेख में राउत मुसलमानों से मताधिकार छीनने की वकालत और मांग कर चुके हैं. हालांकि बाद में इस ओर विवाद गहराने पर उन्होंने अपने लेख से यू-टर्न ले लिया और कहा कि मीडिया ने उनकी बातों को गलत तरीके से पेश किया. राउत के लेख पर टिप्पणी करते हुए आवैसी ने कहा था कि क्या शि‍वसेना बीजेपी सांसद मुख्तार अब्बास नकवी और नजमा हेपतुल्ला से भी मताधि‍कार छीनेगी.

क्या लिखा था पहले
इससे पहले राउत ने ‘सामना’ के एक लेख में यह लिखकर सियासी तूफान मचा दिया था कि राजनीतिक दलों द्वारा मुस्लिमों का वोटबैंक के रूप में उपयोग बंद करने के लिए मुस्लिमों का मताधिकार खत्म कर देना चाहिए.

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राउत ने संपादकीय लेख में कहा था, 'मुस्लिमों के साथ हुए अन्याय से लड़ने के नाम पर वोटबैंक की राजनीति की जा रही है. उनकी शैक्षिक और स्वास्थ्य स्थिति का उपयोग राजनीति के लिए किया जा रहा है. यह राजनीति पहले कांग्रेस ने की, लेकिन अब हर दूसरा व्यक्ति खुद को धर्मनिरपेक्ष बताता है.'

उन्होंने कहा था, 'अगर मुस्लिमों का प्रयोग केवल इस तरह की राजनीति के लिए किया जा रहा है तो उनका कभी विकास नहीं हो सकता. मुस्लिमों का प्रयोग जब तक वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जाएगा तब तक मुस्लिमों का कोई भविष्य नहीं होगा और इसलिए बालासाहेब (शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे) ने एकबार कहा था कि मुस्लिमों से मताधिकार वापस ले लो. जो उन्होंने कहा था वह सही है.'

बाद में कुछ यूं लिया था यू-टर्न
बाद में आलोचकों के निशाने पर आने के बाद संजय राउत ने यू-टर्न लेते हुए कहा था, 'मैंने यह नहीं लिखा कि मुस्लिमों से मताधिकार वापस ले लेना चाहिए. मैंने सिर्फ इतना कहा कि अगर उन्हें वोट देने की अनुमति नहीं दी जाए तो मुस्लिमों का प्रयोग राजनीतिक अवसरवादिता के लिए नहीं किया जाएगा.' उन्होंने आगे कहा, 'मैंने नहीं कहा कि मुस्लिमों को उनके मताधिकार से वंचित कर देना चाहिए. मीडिया को दिन के लिए कुछ खबर चाहिए थी और उन्होंने मेरे बयान का गलत मतलब निकाला.'

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