सीएम उद्धव ठाकरे ने जैसे ही पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान बताते हुए सुविधाओं के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की घोषणा की, विवाद शुरू हो गया. रविवार सुबह से ही शिरडी की सभी दुकानें बंद हैं. सड़को पर लोग विरोध प्रदर्शन करते दिखाई दे रहे हैं. वहीं श्री साईं बाबा संस्थान न्यास ने श्रद्धालुओं के लिए मंदिर खुला रखा है. इस वजह से मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जमा हो गई है.
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा का ख्याल रखते हुए 'प्रसादालय' और 'मंदिर की रसोई' पर विशेष व्यवस्था की है. मंदिर ट्रस्ट और अहमद नगर प्रशासन ने बताया कि शहर में सभी दुकानें बंद हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं की सुविधा का ख्याल रखते हुए प्रसादालय और मंदिर की रसोई को भी खुला रखा गया है.
बताया जा रहा है कि इस प्रसादालय और मंदिर की रसोई के बाहर भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही है. वे कतारों में लगकर नाश्ते और लड्डू ले रहे हैं. वहीं स्थानीय बीजेपी नेता सचिन तांबे पाटिल ने बंद को पूरी तरह सफल बताते हुए कहा कि सभी कामर्शियल्स, दुकानें, रेस्टोरेंट्स और स्थानीय ट्रांसपोर्ट्स (ऑटो रिक्शा और अन्य निजी वाहन) बंद हैं. 25 गांवों ने इस बंद का समर्थन किया है. हालांकि मंदिर खुला है और श्रद्धालु भी आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि रविवार को एक रैली का भी आयोजन किया गया है.
कहां से शुरु हुआ विवाद
दरअसल यह विवाद सीएम उद्धव की उस घोषणा के बाद हुआ जिसमें उन्होंने परभणी जिले के पाथरी में साईं बाबा से जुड़े स्थान पर सुविधाओं का विकास करने के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की घोषणा की थी.
बता दें कि कुछ श्रद्धालु, पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान मानते हैं. लेकिन शिरडी के लोगों का मानना है कि उनके जन्मस्थान की जानकारी किसी को नहीं है.
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