साहित्य का सबसे बड़ा महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2019' एक नवंबर से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में शुरू हो चुका है. साहित्य, कला, संगीत, संस्कृति का यह जलसा 3 नवंबर तक चलेगा. तीन दिन तक चलने वाले साहित्य के महाकुंभ में कला, साहित्य, संगीत, संस्कृति और सिनेमा जगत की मशहूर हस्तियां शामिल हो रही हैं.
इस कड़ी में शुक्रवार को साहित्य आजतक-2019 के 'हंसते-हंसते दम निकले' सेशन में कवियों ने ऐसा समां बांधा की सभी ताली बजाने पर मजबूर हो गए. कवि सुरेंद्र शर्मा, अरुण जैमिनी और सुनील जोगी ने अपने व्यंग से पूरी महफिल लूट ली.
कवि सुरेंद्र शर्मा ने कुएं और नदी की ऐसी पक्तियां गढ़ीं, जिसे सुनकर हर कोई वाह-वाह करने लगे. वहीं, हरियाणा की रानजीति पर अरुण जैमिनी ने तीखे व्यंग किए, जबकि सुनील जोगी ने 'मुश्किल है अपना मेल प्रिये' से समां बांधा.
जितने संदेश देने वाले हैं उनसे बचकर रहें...
कवि सुरेंद्र शर्मा
ने कहा कि मैं एक संदेश देना
चाहता हूं, जितने संदेश देने वाले हैं उनसे बचकर रहें. अपना निर्णय खुद लेंगे तो बेहतर जिंदगी जी सकेंगे. मैं पूछना चाहता हूं कि किसने वर्ण
व्यवस्था बनाई. अगर राम सबरी के जूठे बेर खा सकते हैं तो सबरी राम के मंदिर में
क्यों नहीं जा सकती.
सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि जिंदगी में किसी गरीब का मजाक मत उड़ाना क्योंकि ईश्वर के लिए हर चीज महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि अमेरिका जाइए सारे भारतीय दुखी मिलेंगे, लेकिन पैसा सबके पास है. कोई ये नहीं कहता सेठ भूखा हूं रोटी खिलादे. अमीरी की अकड़ तब तक रहती है, जब तक गरीबी निहारती है. गरीबी निहारना बंद कर देगी तो अमीरी की अकड़ खत्म हो जाएगी.
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इस पर एक किस्सा सुनाते हुए सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि नदी ने अकड़ते
हुए कुएं से कहा, तेरी क्या अवकात है तुझे पता है? वो हाथ जोड़कर बोला
भटकाव और ठहराव में फर्क है. प्यासा मेरे पास आता है और तुम प्यासे के पास
जाती हो. तुम ऊपर से नीचे की ओर जाती हो और मीठे से खारा हो जाती हो. मैं
नीचे से ऊपर की ओर आता हूं और मीठा-मीठा रहता हूं. इसके बाद उन्होंने चार पंक्तियां पढ़ीं. जो इस तरह है.
आज एक बार कहें, आखिर बार कहें
क्या पता तुम ना रहो, क्या पता हम ना रहें
मंदिर की या मस्जिद की या किसी इमारत की
माटी तो लगा भाई उसमें मेरे भारत की....
मुश्किल है अपना मेल प्रिये...
कवि सुनील जोगी ने 'मुश्किल है अपना मेल प्रिये से' कविता से अपनी शुरुआत की. उन्होंने राजनीति पर व्यंग करते हुए योगी सरकार पर तीखी पंक्तियां पढ़ीं. इसके अलावा उन्होंने योगी के एंटी रोमियो स्क्वाड पर अपनी कविता के जरिए लोगों को हंसाया.
तुम चिकन सूप बिरयानी हो, मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये
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बिखरा पड़ा है हास्य...
राजनीति पर कटाक्ष करते हुए अरुण जैमिनी ने कई किस्से सुनाए. उन्होंने कहा कि हरियाणा की राजनीति थोड़ा अलग है. यहां की राजनीति और हास्य बिखरा पड़ा है. एक सब्जी वाले का किस्सा सुनाते हुए अरुण जैमिनी ने कहा 'मैंने एक साइकल खरीदी और सब्जी वाले से दो नींबू खरीदा. तब सब्जी वाले ने कहा कि क्या आपने भी राफेल खरीद लिया.'
अरुण जैमिनी ने कहा कि हरियाणा के लोग राजनीति पर ज्यादा बात नहीं करते हैं, सिर्फ राजनीति करते हैं. एक किस्सा सुनाते हुए जैमिनी ने कहा 'एक सांप नेताजी को काट रहा था तो एक शख्स ने कहा कि नेताजी को सांप काट नहीं रहा है, खुद में जहर भरवा रहा है.
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