राजस्थान के स्कूलों में इस बीच छात्रों के बीच बंटने वाली ड्रेस तो भगवा हुई हीं वहीं कांग्रेस के शासनकाल में सब स्टैंडर्ड कह कर लौटाई गई साइकिलों का रंग भी भगवा हो गया है. राजस्थान में इससे पहले कोर्स बदलने को लेकर बवाल हुआ था. इस बीच पहले काले रंग की साइकिल भी भगवा हो गई है. कांग्रेस जहां इसे विभाजनकारी करार दे रही है वहीं बीजेपी इसे जरूरी बता रही है.
गौरतलब है कि 1 जुलाई से जब राजस्थान के सरकारी स्कूल खुलेंगे तो बच्चों के सिलेबस, ड्रेस का रंग और स्कूल आने-जाने की सवारी साइकिल बदल जाएगी. स्कूलों के पाठ्यक्रम में अकबर की जगह महराणा प्रताप होंगे और जवाहर लाल नेहरु की जगह दीन दयाल उपाध्याय होंगे. अब तक जो बच्चे सरकार की तरफ से मिलनेवाली काली साइकिल पर चढ़कर आते थे. वे अब भगवा रंग की साइकिल पर नजर आएंगे. बच्चों का ड्रेस भी नेवी ब्लू से बदल कर खाकी पैंट और कत्थई कलर का शर्ट होगा.
साइकिल के रंग से सभी हैं हैरान
राजस्थान के करीब 20 हजार स्कूलों में तीन लाख साईकिलें बांटीं जा रही हैं. इन साइकिलों का रंग देख कर सभी हैरान हैं. बीजेपी ने सत्ता में आते ही कांग्रेस सरकार के दौरान बांटी जा रही काली साइकिल को बेहद खराब करार देकर बंद कर दिया था. लेकिन किसी को यह नहीं पता था कि नई साइकिल काली नहीं भगवा होगी. दरअसल राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी आरएसएस के बेहद करीबी हैं और वे अपने फैसले इसी तरह लागू करते हैं.
राजस्थान की शिक्षा इन दिनों राजनीति का शिकार है
राजस्थान की राजनीति भी कभी इतिहास तो कभी ड्रेस पर फंस रही है. अब तो रंगों की राजनीति शुरू हो गई है. प्रदेश के शिक्षा राज्य मंत्री हिंदुत्व का मुद्दा छोड़ना नही चाहते और कांग्रेस हर बार हिंदुत्व के नाम पर प्रदेश सरकार को घेरने में कोई कमी नही छोड़ती. कांग्रेस ने जहां बीजेपी पर शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाया तो वहीं देवनानी ने कहा कि कांग्रेस को भगवा का अर्थ ही नहीं पता. वे तो यहां तक बोल गए कि केसरिया रंग तो तिरंगे में भी है.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी कहते हैं कि राजस्थान में बीजेपी सरकार ने आते ही साइकिल का वितरण शुरू किया. यह मुख्यमंत्री द्वारा नि:शुल्क साइकिल वितरण है. ऐसे में आम जनता को पता चलना चाहिए कि यह मुख्यमंत्री द्वारा बांटा जा रहा है. उन्होंने रंग और पसंद के बाबत कमेटी बनाई थी और उन्हें केसरिया का सुझाव मिला. वे इस योजना के तहत पूरे राजस्थान में 3 लाख ऐसी साइकिलें बंटवा रहे हैं. वे कहते हैं कि इसके कोई राजनीतिक निहितार्थ नहीं. केसरिया त्याग और समर्पण का रंग है और हिन्दुस्तान के साधू-संत भी इस रंग को धारण करते हैं.
शरत कुमार