सबरीमाला: SC के फैसले से पहले 36 महिलाओं ने कराया रजिस्ट्रेशन, करेंगी दर्शन

शीर्ष कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 28 सितंबर 2018 के फैसले पर कोई स्टे नहीं है, जिसमें 10 व 50 आयु के बीच की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के प्रतिबंध को हटा दिया गया है. इसके मायने हैं कि सभी आयु वर्ग की महिलाएं बड़ी पीठ का फैसला आने तक मंदिर की यात्रा कर सकती हैं.

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सबरीमाला मंदिर (फोटो: PTI) सबरीमाला मंदिर (फोटो: PTI)

aajtak.in

  • तिरुवनंतपुरम,
  • 15 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:13 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने याचिका बड़ी बेंच को सौंपी
  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद ये महिलाएं कर सकती हैं यात्रा

सबरीमाला का दो महीने लंबा सीजन रविवार से शुरू हो रहा है. मंदिर की ऑनलाइन बुकिंग सुविधा के जरिए 36 महिलाओं ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है. खास बात यह रही कि इन महिलाओं द्वारा अपना रजिस्ट्रेशन सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले से पहले करवाया गया था. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर व दूसरी धार्मिक जगहों पर महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को गुरुवार को सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को भेज दिया.

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शीर्ष कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 28 सितंबर 2018 के फैसले पर कोई स्टे नहीं है , जिसमें 10 व 50 आयु के बीच की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के प्रतिबंध को हटा दिया गया है. इसके मायने हैं कि सभी आयु वर्ग की महिलाएं बड़ी पीठ का फैसला आने तक मंदिर की यात्रा कर सकती हैं. यहां आपको यह भी बता दें कि पिछले सीजन में प्रतिबंधित आयु वर्ग की 740 महिलाओं ने दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था.

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ

सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच को आज इस बारे में फैसला देना था लेकिन कोर्ट ने इसके व्यापक असर को देखते हुए 3-2 के मत से याचिकाएं बड़ी बेंच को सौंप दी हैं. हालांकि कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 के  फैसले को कायम रखते हुए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है.

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आज सुनवाई के दौरान इस मुद्दे पर जस्टिस आर.एफ. नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की राय अलग थी. उनका मानना था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने के लिए सभी बाध्य हैं और इसका कोई विकल्प नहीं है. दो जजों की राय थी कि संवैधानिक मूल्यों के आधार पर फैसला दिया गया है और सरकार को इसके लिए उचित कदम उठाने चाहिए.

सबरीमाला मसले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा. अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. अब बड़ी बेंच में जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं के दरगाह-मस्जिदों में प्रवेश पर भी सुनवाई की जाएगी और ऐसी सभी तरह की पाबंदियों को दायरे में रखकर समग्र रूप से फैसला लिया जाएगा.

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