विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप का अर्थव्यवस्था के लिहाज से क्षेत्रीयकरण सबसे कम हुआ है. प्रधानमंत्री को भी लगता है कि हमें इसके बारे में कुछ करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की दिग्गज अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत इसके लिए अगुवाई कर सकता है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा आयोजित 'इंडिया इकोनॉमिक समिट' में विदेश मंत्री ने यह बात कही.
जयशंकर ने कहा, 'आपने राजनीतिक रूप से यह देखा है, जब हमने अपने पड़ोसी देशों को उनके शपथग्रहण समारोह में बुलाया था. हमने उनसे संपर्क साधा, संपर्क बनाए, लोगों की आवाजाही बढ़ाई, लेकिन हमें पड़ोसी देशों से इस मामले में कोई बराबरी के लेनदेन की बात नहीं करते. हमने अपने पड़ोसियों को कम ब्याज दर के कर्ज दिए, ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. आप हमारे और पड़ोसी देशों की अर्थव्यवस्था पर इसका असर देख सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'हमने पड़ोसी देशों को बिजली का ट्रांसमिशन किया है, हम सीमाई सड़कें बना रहे हैं, बंदरगाहों तक पहुंच दे रहे हैं, जलमार्ग, रेलमार्ग तैयार कर रहे हैं. सबसे ज्यादा प्रभावी बांग्लादेश के साथ हुआ है. भूटान तो ऐतिहासिक रूप से हमारा साझेदार रहा है. नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका में काफी काम हुआ है.'
पाकिस्तान से संबंध सुधरने की उम्मीद
उन्होंने कहा कि 'माइनस वन' (पाकिस्तान को छोड़कर बाकी दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग) की नीति हमेशा नहीं चल सकती. बाकी सभी देशों के साथ व्यापार, कारोबार और संपर्क बढ़ रहा है. इसका निश्चित रूप से आगे कुछ असर होगा. मैं अव्यावहारिक नहीं हूं, लेकिन उम्मीद रखता हूं. उनके साथ सोच का मसला है जो आगे दूर हो सकता है. कश्मीर के बारे में मैंने कई बार गहनता से बात की है. अमेरिका में मैंने लोगों को कश्मीर के इतिहास और वास्तविकता की जानकारी दी. बहुत से लोगों को तथ्यों का पता नहीं था.'
अमेरिका के साथ हमारा खास रिश्ता
विदेश मंत्री ने कहा कि 'हाउडी मोदी' जैसा इवेंट बहुत देश नहीं कर सकते. यह अमेरिका के साथ हमारे बेहतरीन खास रिश्ते की वजह से हुआ है और इसे हमने ह्यूस्टन में देखा है. अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर जयशंकर ने कहा कि यह इतना आसान नहीं, कई जटिल मसले है. इस पर अभी काफी काम करना है. हमारे वाणिज्य मंत्री इसे निपटाने में पूरी तरह सक्षम हैं.'
अमेरिका में उठा था कश्मीर मसला
एक सवाल पर एस. जयशंकर ने कहा कि पीए मोदी की यात्रा के दौरान हमारे सामने कई बार दूसरे पक्ष ने कश्मीर का मसला उठाने की कोशिश की थी. उन्होंने कहा, 'हां, अमेरिका में कश्मीर मसला सामने आया था. यह मेरी कारोबारी बैठकों में नहीं, नीतिगत बैठकों में नहीं, लेकिन कई बार दूसरे मौकों पर सामने आया था.'
क्या भारत भी बेल्ट और रोड इनिशिएटिव जैसा कुछ करेगा इस सवाल पर जयशंकर ने कहा कि भारत की अलग पहचान है और ऐसे मॉडल की कॉपी नहीं की जा सकती जो हमारे स्वभाव के खिलाफ हो.
पॉलोमी साहा