RSS का मुखपत्र बोला, वेदों में गाय मारने वाले 'पापियों' की हत्या का दिया गया है आदेश

आरएसएस (राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ) के मुखपत्र पांचजन्य ने दादरी में गाय को मारने की अफवाह के बाद एक शख्स की हत्या के विरोध में पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों पर निशाना साधा है. इसमें कहा गया है कि वेदों में गाय को मारने वाले 'पापियों' की हत्या का आदेश

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शश‍ि भूषण

  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2015,
  • अपडेटेड 6:20 PM IST

आरएसएस (राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ) के मुखपत्र पांचजन्य ने दादरी में गाय को मारने की अफवाह के बाद एक शख्स की हत्या के विरोध में पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों पर निशाना साधा है. इतना ही नहीं, पांचजन्य के नए अंक की कवर स्टोरी में कहा गया है कि वेदों में गाय को मारने वाले 'पापियों' की हत्या का आदेश दिया गया है.

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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 'इस उत्पात के उस पार' हेडलाइन वाले इस लेख में आरोप लगाया गया है कि मुस्लिम नेता भारतीय मुसलमानों को देश की परंपरा से नफरत करना सिखाते हैं. इसमें कहा गया है, 'अखलाक (दादरी में मारे गए पीड़ित) ने शायद इन्हीं बुरी नसीहतों के प्रभाव में आकर एक गाय को मारा होगा.'

इस मुद्दे पर लेखकों पर सवाल उठाते हुए पत्रिका में लिखा गया है कि वे इस मामले पर शांत क्यों रहे?

लेख में कहा गया है, 'वेद का आदेश है कि गोहत्या करने वाले के प्राण ले लो. हममें से बहुतों के लिए तो यह जीवन-मरण का प्रश्न है.' इस लेख को हिंदी लेखक तुफैल चतुर्वेदी (विनय कृष्ण चतुर्वेदी) ने लिखा है.

इसमें कहा गया है, 'गोहत्या हमारे लिए इतनी बड़ी बात है कि सैकड़ों साल से हमारे पूर्वज इसे रोकने के लिए अपनी जान की बाजी लगा कर हत्या करने वालों से टकराते रहे हैं. इतिहास में सैकड़ों बार ऐसे मौके आए हैं, जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए उनके मुंह में बीफ ठूंसा है.'

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लेख में हिंदुओं के लिए गाय की अहमियत पर कहा गया है कि 1857 में पहली क्रांति उस वक्त हुई, जब अंग्रेजों ने भारतीय सैनिकों को गोमांस के फैट वाली कारतूसों को दांत से काटने के लिए कहा था.

 

उधर, लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएसएस के विचारक राकेश सिन्हा ने कहा कि पांचजन्य में एक लेखक की 'दिग्भर्मित' राय को संघ की राय बताना गलत है. उन्होंने कहा कि यह लेखक की निजी राय है.

 पाञ्चजन्य में एक लेखक की दिग्भर्मित राय को संघ के राय बताना गलत है। लेखक की निजी राय है। @aajtak

 

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