संघ न तो राजनीतिक संगठन, न ही शासन चलाने में उसकी रुचि: मोहन भागवत

देश में असहिष्णुता को लेकर लगातार तेज होती बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने इशारों-इशारों में सफाई पेश की है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कई बार जानकारी के अभाव में भ्रम की स्थ‍िति पैदा हो जाती है. साथ ही उन्होंने साफ किया है कि RSS न तो राजनीतिक संगठन है, न ही उसकी कोई राजनीतिक विचारधारा है.

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मोहन भागवत ने RSS के बारे में रखे विचार मोहन भागवत ने RSS के बारे में रखे विचार

अमरेश सौरभ

  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2015,
  • अपडेटेड 11:27 AM IST

देश में असहिष्णुता को लेकर लगातार तेज होती बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने इशारों-इशारों में सफाई पेश की है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कई बार जानकारी के अभाव में भ्रम की स्थ‍िति पैदा हो जाती है. साथ ही उन्होंने साफ किया कि RSS न तो राजनीतिक संगठन है, न ही उसकी कोई राजनीतिक विचारधारा है.

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'जैसा देखना चाहते हैं, वैसा नजर आता है'
मोहन भागवत ने अपने फेसबुक पेज पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट डाला है. इसमें उन्होंने लिखा है, 'रात को कम रोशनी में आइने में अपनी ही शक्ल डरावनी दिखती है. अक्सर जानकारी के अभाव में, हम किसी भी विषय को वैसा ही देखते हैं, जैसा देखना चाहते हैं. यह आवश्यक नहीं कि जो भी दृश्य हम देखें, वह वास्तविकता हो. जानकारी के आभाव में कई बार हम अपनी मानसिकता के दृष्टिकोण पर ही वास्तविकता का दृश्य निर्धारित कर लेते हैं...'

'शासन तंत्र का सूत्रधार बनने की आकांक्षा नहीं'
मोहन भागवत ने लिखा है कि संघ के बारे में कुछ बातों को स्पष्ट करना जरूरी है, ताकि संशय की कोई संभावना ही न रहे. उन्होंने लिखा है, 'संघ कोई राजनीतिक नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, जिसकी निजी कोई विचारधारा ही नहीं है. भारत की वास्तविकता ही इसका विचार है. न ही दैनिक राजनीति में संघ की रुचि है, और न ही इसे शासन तंत्र का सूत्रधार बनने की कोई आकांक्षा है.'

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पिछले 90 साल से सेवा में समर्पित है संघ
आरएसएस प्रमुख ने आगे लिखा है, 'स्वामी विवेकानंद जी ने समाज में जिस व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया द्वारा राष्ट्र के पुनर्निर्माण का मार्ग दिखाया था, संघ पिछले 90 वर्षों से उसी कार्य के प्रति समर्पित है.'

'राजनेता बनाना संघ का काम नहीं'
फेसबुक पर मोहन भागवत ने संघ के बारे में भ्रम दूर करने की कोश‍िश करते हुए लिखा, 'संघ का काम राजनेता बनाना नहीं, बल्कि समाज में ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना है, जिनका विवेक सत्य और असत्य में अंतर करने में सक्षम हो, उन्हें धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय का ज्ञान हो. ऐसी पीढ़ी अपने लिए जो भी कार्यक्षेत्र चुनेगी, स्वाभाविक है कि वह वहां अग्रणी रहेंगे. तब समाज स्वतः ही सांप्रदायिकता, जातिवाद और भ्रष्टाचार जैसे अपने समस्त विकारों से निवृत हो जाएगा.'

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