घाटी में मौसम साफ होने के बाद सोमवार से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने अब मनाली-लेह मार्ग के बीच रोहतांग दर्रे को बहाल करने की कवायद शुरू कर दी है.
बीआरओ ने मार्च के अंत तक रोहतांग दर्रा को बहाल करने का लक्ष्य रखा है. इसके चलते करीब एक महीने पहले ही रोहतांग दर्रा बहाल हो जाएगा. दिसंबर 2017 से आवाजाही के लिए बंद पड़े रोहतांग दर्रे को यातायात के लिए बहाल करने को लेकर बीआरओ ने मुहिम शुरू कर दी है.
लाहौल-स्पीति जिले से गुजरने वाली मनाली-लेह सड़क पर सरचु तक के करीब 222 किलोमीटर हिस्से से सीमा सड़क संगठन हर वर्ष बर्फ हटाता है. इस बार यह कार्य पिछले कुछ दिनों में खराब मौसम के चलते देरी से शुरू हुआ है.
मनाली-लेह हाइवे सेना के हथियार, गोला-बारूद और रसद ले जाने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. यहां से लेह-लद्दाख जिले के लिए सेना को आपूर्ति की जाती है. मनाली-लेह मार्ग बंद होने के कारण इन दिनों लेह-लद्दाख की भारतीय सीमा पर तैनात सेना को रसद और अन्य सामान जम्मू मार्ग होते हुए पहुंचाया जा रहा है.
गौरतलब है कि रोहतांग दर्रा मनाली लेह मार्ग के बीच आने वाले जनजातीय क्षेत्र लाहौल स्पीति का गेटवे है. इसी क्रम में सोमवार को व्यास नाला में बीआरओ, अफसरों और जवानों ने पूजा-अर्चना भी की.
बर्फ काटने वाली मशीनों, डोजर्स और जेसीबी मशीनों की मदद से मनाली-सरचु सेक्शन को खोलने के लिए चार टीमों को लगाया गया है. मनाली की पहली टीम व्यास नाला से बर्फ की महीन लेयर को हटा रही है, दूसरी टीम सिस्सू-खोक्सर से बर्फ साफ कर रही है. जबकि दो टीमें लाहौल घाटी में लगाई गई हैं.
38 बीआरटीएफ के कमांडर एके अवस्थी ने बताया कि रोहतांग दर्रे को खोलने के लिए बड़े स्तर पर कोशिश की जा रही है. बीआरओ के पास सड़क मार्ग को खोलने के लिए उपयुक्त मशीनरी है, जो जल्द से जल्द रोहतांग को खोलने के लिए सक्षम है.
अधिकारी ने बताया कि बीआरओ हर वर्ष की तरह रोहतांग को जल्द से जल्द खोलने की कोशिश कर रहा है, ताकि लोगों को जल्द से जल्द आर-पार जाने की सुविधा मिल सके. अगर मौसम ठीक रहा तो इसी महीने तक रोहतांग दर्रे को यातायात के लिए खोल दिया जाएगा. इसके लिए स्थानीय लोगों की भी मदद ली जाएगी.
वरुण शैलेश