यूपी चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस की सीनियर नेता रीता बहुगुणा जोशी ने पाला बदलकर बीजेपी का दामन थाम लिया. यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं रीता का ऐसे नाजुक मोड़ पर कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा झटका है. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा की 67 साल की बेटी रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ में कैंट क्षेत्र से कांग्रेस की विधायक हैं. रीता के भाई विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे, जो हरीश रावत से विवाद के बाद बीजेपी में शामिल हो गए हैं.
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पिछले 27 साल से सत्ता से दूर है और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी के सामने आगामी चुनाव जीतने के साथ-साथ संगठन को मजबूत करने की भी बड़ी चुनौती है. कांग्रेस ने 15 सालों तक दिल्ली की सीएम रहीं शीला दीक्षित को यूपी में पार्टी का सीएम कैंडिडेट घोषित किया है. राहुल गांधी ने हाल में ही यूपी में किसान यात्रा की है. ऐसे समय में रीता का कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.
इसलिए रीता ने छोड़ी कांग्रेस
कांग्रेस ने रीता को उत्तराखंड में कांग्रेस विधायकों के बागी होने का मामला सुलझाने का जिम्मा सौंपा था. लेकिन वे इसमें नाकाम रहीं. इससे पार्टी उनसे नाराज थी. तभी से उनकी उपेक्षा शुरू हो गई. इस बीच जिस कैंट सीट से रीता बहुगुणा जोशी विधायक हैं, वहां से शीला दीक्षित को चुनाव लड़ाने की चर्चा चल रही है. इसके चलते भी रीता पार्टी छोड़ने पर मजबूर हुईं.
रीता बहुगुणा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की वापसी के लिए प्रशांत किशोर को कमान सौंपने से नाराज थीं. वे प्रशांत किशोर की कार्यशैली से खफा थीं. उनका आरोप है कि प्रशांत किशोर (पीके) ठेके पर कांग्रेस को चला रहे हैं. उनका मानना था कि प्रशांत किशोर उन जैसे पुराने दिग्गज नेताओं को राजनीति सिखा रहे हैं.
रीता ने हालांकि बीजेपी ज्वाइन करते वक्त कहा कि देश की चुनी गई सरकार पर 'खून की दलाली' का आरोप लगाकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्र विरोधी तत्वों को मौका दिया है. राहुल के शब्दों ने पार्टी छोड़ने के लिए प्रेरित किया.
लोकसभा चुनाव के बाद जारी है सिलसिला
रीता बहुगुणा ही नहीं, करीब 10 ऐसे बड़े नेता हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में हार के बाद पार्टी छोड़ दिया है. लोकसभा चुनाव से ऐन पहले भी कुछ नेताओं ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था. इनमें प्रमुख नाम जगदंबिका पाल हैं. जगदंबिका पाल यूपी में कांग्रेस का बड़ा चेहरा रहे हैं और पूर्व सीएम भी रहे हैं. 66 साल के जगदंबिका पाल बीजेपी में शामिल हुए और सांसद भी बने. कांग्रेस के आलाकमान से नाराज चल रहे जगदंबिका पाल ने भी पार्टी में अपनी अनदेखी से नाराज होकर कांग्रेस से नाता तोड़ा था.
पिछले साल जनवरी में कांग्रेस की बड़ी नेता और केंद्रीय मंत्री रह चुकीं जयंती नटराजन ने भी पार्टी से नाता तोड़ लिया . जयंती ने यह भी ऐलान किया कि वो किसी दूसरे दल में भी शामिल नहीं होंगी. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में जयंती नटराजन ने पार्टी की कार्यप्रणाली से नाराजगी को अपने इस्तीफे की वजह बताया था. नटराजन ने राहुल गांधी के कुछ निर्देशों को लेकर भी शिकायत की थी जो कांग्रेस उपाध्यक्ष ने जयंती के मंत्री रहते हुए उन्हें दिए थे.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और तमिल मनीला कांग्रेस के नेता स्वर्गीय जी के मूपनार के बेटे जी के वासन ने नवंबर 2014 में कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था. कांग्रेस छोड़ने के तुरंत बाद ही वासन ने क्षेत्रीय पार्टी देशीय तमिल मनीला कांग्रेस का गठन किया.
दिल्ली में विधानसभा चुनावों से ऐन पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिल्ली में कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा रहीं कृष्णा तीरथ ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था. तीरथ ने कांग्रेस में अनुशासन की कमी को अपने इस्तीफे की वजह बताया था.
केंद्र में मोदी की अगुवाई की सरकार बनने के बाद हरियाणा में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था जब दिग्गज नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने पार्टी से नाता तोड़ लिया था. उस वक्त हरियाणा के सीएम रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मनमुटाव के चलते बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस से नाता तोड़ा था. चौधरी बीरेंद्र सिंह को इसका ईनाम भी मिला और उन्हें मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पंजाब से पार्टी के सीनियर नेताओं से एक जसमीत सिंह बराड़ ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था. बराड़ पार्टी में अपनी बेइज्जती से निराश थे. उन्होंने अपने त्यागपत्र में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा करने की नसीहत दे डाली थी.
इसी तरह हरियाणा विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के बड़े नेता अवतार सिंह भड़ाना ने पार्टी छोड़ दी थी. भड़ाना ने कांग्रेस छोड़ते समय प्रदेश के सीएम हुड्डा और केंद्रीय आलाकमान को जमकर खरीखोटी सुनाई थी. दिग्गज गुज्जर नेता भड़ाना ने कांग्रेस छोड़ने के बाद ओम प्रकाश चौटाला की अगुवाई वाली इंडियन नेशनल लोकदल का दामन थाम लिया था.
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के सीनियर नेता मंगत राम शर्मा ने पार्टी छोड़ दी थी. सूबे के डिप्टी सीएम रहे शर्मा 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में जम्मू सीट से विजयी रहे थे.
इस तरह कांग्रेस आलाकमान की अनदेखी और राहुल गांधी को बड़ी जिम्मेदारी से नाराज सीनियर नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी है.