रिपोर्ट में खुलासा, J-K में 18 साल से कम उम्र के 144 लड़कों को पुलिस ने उठाया

जुवेनाइल जस्टिस कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि 5 अगस्त से 23 सितंबर के बीच 18 साल से कम उम्र के करीब 144 लड़कों को पुलिस ने उठाया है. साथ ही 86 लड़कों को आपराधिक धाराओं के तहत प्रिवेंटिव डिटेंशन में रखा गया.

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जम्मू एवं कश्मीर पुलिस की फाइल फोटो जम्मू एवं कश्मीर पुलिस की फाइल फोटो

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 01 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 10:34 PM IST

  • 86 बच्चों को आपराधिक धाराओं के तहत प्रिवेंटिव डिटेंशन में रखा गया
  • ज्यादातर लड़कों की उम्र 14 से 17 के बीच है, कई उसी दिन छोड़ दिए गए

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की ओर से गठित जुवेनाइल जस्टिस कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि 5 अगस्त से 23 सितंबर के बीच 18 साल से कम उम्र के करीब 144 लड़कों को पुलिस ने हिरासत में लिया. साथ ही 86 बच्चों को आपराधिक धाराओं के तहत प्रिवेंटिव डिटेंशन में रखा गया. 9 साल तक के बच्चों को भी हिरासत में लिया गया. ज्यादातर लड़कों की उम्र 14 से 17 साल के बीच है. इनमें ज्यादातर लड़कों को उसी दिन छोड़ दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने इस मामले पर कहा है कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के नियमों के तहत ही हिरासत में लिया गया.

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उधर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू कश्मीर में बच्चों की अवैध हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका संविधान पीठ के पास भेज दी. यह याचिका पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को रद्द करने के बाद दायर की गई थी. शीर्ष अदालत ने शनिवार को जस्टिस एन. वी. रमना की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ का गठन किया था, जिसे अनुच्छेद-370 से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई करनी है.

यह याचिका दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से दायर की गई है. इस संबंध में चीफ जस्टिस ने 20 सितंबर को कहा था कि यह याचिका जम्मू कश्मीर में बच्चों की हिरासत से संबंधित अहम सवाल उठा रही है.

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