अमेरिका से भारत को राहत, H-1B वीजा धारकों को नहीं लौटना होगा स्वदेश

पिछले एक हफ्ते से परेशान अमेरिका में रह रहे एच-1बी वीजा धारकों के लिए बड़ी राहत आई है, नए ऐलान के बाद उन्हें अब अमेरिका से वापस स्वदेश नहीं लौटना होगा.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST

अमेरिका से भारत और भारतीयों के लिए अच्छी खबर आ रही है, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन H-1B वीजा धारकों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करने संबंधी किसी भी प्रस्ताव पर कोई विचार नहीं कर रहा है.

H-1B वीजा धारकों को ट्रंप प्रशासन की ओर से देश छोड़ने के लिए मजबूर करने संबंधी खबर आने के बाद यूएस सिटीजनशिप एंड एमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) की ओर से यह ऐलान किया गया है. ऐसी स्थिति में साढ़े 7 लाख भारतीयों को अमेरिका छोड़ना पड़ता.

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अमेरिका ने दी राहत

रिपोर्ट में कहा गया था कि H-1B वीजा धारकों के वीजा अवधि बढ़ाने को लेकर स्थिति साफ नहीं थी. अधिकारियों की ओर से कहा गया कि USCIS ऐसे किसी भी बदलाव पर कोई विचार नहीं कर रहा है जिसमें H-1B वीजा धारकों को अमेरिका छोड़ना पड़ जाएगा. उन्हें एक्सटेंशन दिया जा सकता है.

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अमेरिकी सरकार की ओर से ऐसे किसी प्रस्ताव से साफ इनकार के बाद H1B वीजा धारकों को अधिकतम छह साल बाद ग्रीन कार्ड के लिए इंतजार कर रहे लोगों को वाशिंगटन छोड़ने पर मजबूर नहीं होना पड़ेगा.

USCIS की ओर से जोनाथन विथिंगटन ने कहा, "यदि ऐसा कुछ होता तो भी इस प्रकार के बदलाव से H-1B वीजा धारकों को अमेरिका नहीं छोड़ना पड़ता क्योंकि कानून की धारा 106 ए-बी के तहत इन पेशेवरों के नियोक्ता एक-एक साल के लिये विस्तार के लिये आग्रह कर सकते हैं." उन्होंने आगे कहा, "राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी खरीदो, अमेरिकियों को नौकरी दो संबंधी आदेश पर अमल के लिए एजेंसी कई तरह के नीतिगत बदलावों को आगे बढ़ा रही है. इसके तहत रोजगार से जुड़े तमाम वीजा कार्यक्रमों की भी समीक्षा की जा रही है." उसकी ओर से कहा गया कि USCIS ने कभी भी ऐसे बदलाव पर विचार ही नहीं किया.

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पिछले हफ्ते अमेरिका की एक न्यूज एजेंसी की ओर से यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी कि अमेरिका नए नियमों के तहत H-1B वीजा धारकों के एक्टेशन पर रोक लगाने संबंधी विचार कर रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर भारतीय आईटी पेशेवरों पर पड़ेगा. भारतीय आईटी क्षेत्र की प्रतिष्ठित संगठन नॉसकॉम ने भी इस मामले पर आगाह किया था. इसका असर दोनों देशों पर पड़ने की बात कही थी.

अमेरिकी विभाग ने कहा, "वह ऐसे किसी नियामकीय बदलाव पर विचार नहीं कर रहा है जिससे H-1B वीजा धारकों को अमेरिका छोड़ना पड़े. अमेरिका अपने 21वीं सदी में प्रतिस्पर्धात्मकता कानून (एसी21) की धारा 104सी की भाषा में कोई बदलाव नहीं कर रहा है. यह धारा H-1B वीजा अवधि में विस्तार प्रदान करती है." इस धारा के तहत एच-1बी वीजा की अवधि को छह साल से भी आगे बढ़ाया जा सकता है.

क्या है H-1B वीजा

H-1B वीजा ऐसे विदेशी पेशेवर लोगों के लिए जारी किए जाते हैं जो किसी खास क्षेत्र में कार्यकुशल होते हैं. इसके लिए सामान्य तौर उच्च शिक्षा की जरूरत होती है. कंपनी को अपने कर्मचारियों के लिए से H-1B वीजा के लिए इमिग्रेशन विभाग में आवेदन करना होता है. इसे 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने शुरू किया था.

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अमेरिकी कंपनियां भी H-1B वीजा का इस्तेमाल उच्च स्तर पर प्रशिक्षित पेशेवरों को नियुक्त करने के लिए करती हैं. जिसमें ज्यादातर वीजा आउटसोर्सिंग फर्म को जारी किए जाते हैं. हालांकि इन आउटसोर्सिंग कंपनियों पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि वे इन वीजा का इस्तेमाल निचले स्तर की नौकरियों को भरने में करती हैं.

सामान्यतौर पर H-1B वीजा की मौजूदा सीमा अभी 65,000 है, इसके अलावा अमेरिकी युनिवर्सिटी से मार्स्टस डिग्री (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित) हासिल करने वालों के लिए 20 हज़ार H-1B वीजा जारी किए जाते हैं.

लेकिन पिछले साल जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद H-1B वीजा में बदलाव की बात कही जा रही थी. उन्होंने अपने चुनावी प्रचार में H-1B वीजा को अहम मुद्दा बनाया था और H-1B तथा L-1 वीजा के दुरुपयोग पर लगाम लगाने का वादा किया था.

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