बाबाओं का जग बदलने का जज्बा

सिंहस्थ में साधु-संत जनता को सिर्फ प्रवचन ही नहीं दे रहे हैं बल्कि समाज से जुड़े संदेश देकर जागरूकता भी फैला रहे हैं. उज्जैन में विशाल मेला क्षेत्र में लगे अनेक पंडाल और होर्डिंगों से भी यही जान पड़ता है कि समाज को त्याग कर ईश्वर की तलाश में निकले साधु-संन्यासी आज भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर सजग हैं.

Advertisement

महेश शर्मा

  • उज्जैन,
  • 27 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

उज्जैन में 18 अप्रैल को जब सिंहस्थ महाकुंभ के लिए महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों की जमात पेशवाई के रूप में शहर में निकली तो 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' और 'कन्या भ्रूणहत्या है जघन्य अपराध' की तख्तियों ने सभी का ध्यान खींचा. 'बेटी है कुदरत का उपहार, जीने का इसको दो अधिकार' और 'सिंहस्थ कुंभ का एक ही नारा, साक्षर बने देश हमारा' जैसे नारों से आभास हुआ कि अपना घर-परिवार, नाते-रिश्तेदार छोड़कर संन्यासी बने लोग वर्तमान समय की चुनौतियों और समस्याओं के प्रति समाज को आगाह कर रहे हैं.

11 अप्रैल को निरंजनी अखाड़े की पेशवाई में भी कुछ ऐसा ही नजारा दिख रहा था. महानिर्वाणी अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर प्रखर  महाराज कहते हैं, ''संत सदैव ही समाज को दिशा देते आए हैं. ऐसे विषयों पर जिनसे समाज ज्यादा प्रभावित होता है, संतों का मार्गदर्शन महत्वपूर्ण होता है. ''

सिर्फ पेशवाई के दौरान ही नहीं बल्कि उज्जैन में विशाल मेला क्षेत्र में लगे अनेक पंडाल और होर्डिंगों से भी यही जान पड़ता है कि समाज को त्याग कर ईश्वर की तलाश में निकले साधु-संन्यासी आज भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर सजग हैं. इसी का परिणाम है कि प्रखर महाराज ने मेला क्षेत्र में 50 बिस्तरों का अस्पताल स्थापित किया है जिसमें रोगियों का नि:शुल्क इलाज होगा. इसमें पूरी तरह से वातानुकूलित ऑपरेशन थिएटर भी बनाया गया है जिसमें मस्तिष्क और हृदय जैसे जटिल ऑपरेशन को छोड़कर बाकी हर किस्म की उपचार सुविधा उपलब्ध होगी.

प्रखर परोपकार मिशन का ऐसा ही अस्पताल 2013 में इलाहाबाद कुंभ में भी स्थापित किया गया था और 2010 में हरिद्वार कुंभ के दौरान मिशन ने 100 बिस्तरों वाला अस्पताल बनाया था. वैसे, पटियाला जिले के नाभा में प्रखर परोपकार मिशन का आंखों का स्थायी अस्पताल है. राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के संगरिया में भी मिशन का सामान्य अस्पताल है. इसके अलावा मिशन शिक्षा के प्रसार के लिए भी कार्य कर रहा है. प्रभु प्रेमी संघ के माध्यम से अनेक सेवा प्रकल्प चलाने वाले जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि कहते हैं, ''सिर्फ संत समाज ही ऐसा है जो प्राप्त दान का 99 फीसदी से भी अधिक समाज कार्यों में लगाता है. आज संतों के अलावा पर्यावरण की चिंता कौन कर रहा है, नदियों के प्रदूषण के खिलाफ कौन बोल रहा है? ''

स्वामी अवधेशानंद के प्रयासों से हिमालय क्षेत्र में पर्यावरण की रक्षा के लिए लाखों की संख्या में पौधे लगाए गए जो आज पेड़ बन गए हैं. उज्जैन में उनके शिविर में भी 10 बिस्तरों का एक अस्पताल बनाया गया है. वे सवाल उठाते हैं, ''देश में 40 लाख एनजीओ चल रहे हैं जिन्हें सरकार के अलावा विदेशों से भी भारी- भरकम धन प्राप्त होता है. इस रकम का और इन एनजीओ के कार्यों का आकलन किया जाए तो सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि क्या हो रहा है. दूसरी ओर साधु समाज और अखाड़े हैं जो बगैर किसी प्रचार के अपने काम में लगे हैं. ''

निरंजनी अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने भी अपने सामाजिक कार्यों के जरिए मिसाल कायम की है. उन्होंने भानपुरा पीठ के शंकराचार्य पद पर रहते हुए रूढिय़ों के खिलाफ जमकर प्रचार किया. उन्होंने आदिवासियों की सेवा के लिए अपना पद तक छोड़ दिया था.

ऐसे ही एक संत हैं स्वामी चिदानंद सरस्वती जिन्हें 'मुनिजी' के नाम से जाना जाता है. उन्होंने हवन-प्रवचन को ही पर्यावरण सेवा का माध्यम बना लिया है. वे गंगा ऐक्शन प्लान के माध्यम से गंगा की शुद्धता के लिए वर्षों से प्रयास कर रहे हैं. ऋषिकेश में नित्य गंगा आरती के माध्यम से पूरा देश उन्हें पहचानता है. अब उज्जैन कुंभ के माध्यम से वे नदी को पवित्र और सदानीरा बनाए रखने के लिए जागरूकता फैलाना चाहते हैं. उन्होंने यहां क्षिप्रा आरती का सिलसिला भी शुरू करवाया है. स्वामी चिदानंद कहते हैं, ''2004 के सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान क्षिप्रा में गंभीर नदी का पानी पहुंचाया गया था. 2016 में नर्मदा का जल क्षिप्रा नदी में लाया गया है. लेकिन हमारी कोशिश है कि 2028 के सिंहस्थ महाकुंभ में जो शाही स्नान हों वे क्षिप्रा के अपने जल में संपन्न हों. लेकिन इसके लिए अभी से प्रयास शुरू करना जरूरी है. ''

स्वामी चिदानंद नदी को बचाए रखने की खातिर नदी किनारे वृक्षारोपण की जरूरत पर बल देते हैं. वे क्षिप्रा को प्रवाहमान बनाए जाने की जरूरत बताते हैं और गंगा ऐक्शन प्लान की तर्ज पर क्षिप्रा ऐक्शन प्लान तैयार कर रहे हैं. इस मसले पर उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी चर्चा की है और उनसे सकारात्मक जवाब पाकर वे आगे की योजना बना रहे हैं. इसके लिए वे उज्जैनवासियों को भी जागरूक कर रहे हैं. वे प्रयास कर रहे हैं कि 9 मई को होने वाले शाही स्नान के दौरान हर साधु और संत के हाथ में पर्यावरण की रक्षा का संदेश हो. स्वामी चिदानंद कहते हैं, ''क्षिप्रा में बारिश का पानी होना चाहिए और बारिश को आकर्षित करने के लिए उसके किनारों पर वृक्षों की शृंखला होनी चाहिए. ''

समाज सेवा की दिशा में अपना योगदान देने वाले एक और संत हैं धर्मसम्राट कहे जाने वाले ब्रह्मलीन करपात्री महाराज जिन्होंने अखिल भारतीय धर्मसंघ की स्थापना की. उनके इसी धर्मसंघ के माध्यम से वाराणसी में गरीब बच्चों के लिए नि:शुल्क आवासीय शिक्षा प्रकल्प चलाने वाले स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी कहते हैं, ''साधु-संत अपने घर और परिवार त्यागते जरूर हैं लेकिन इस क्रम में पूरा विश्व ही उनका परिवार हो जाता है. उनका कार्य वसुधैव कुटुंबकम् की भावना और सर्वे भवंतु सुखिन: के इरादे के साथ होता है. ''

इसी भावना के साथ निरंजनी अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि की शिष्या साध्वी ऋतंभरा ने उत्तर प्रदेश के वृंदावन में वात्सल्य ग्राम की स्थापना कर कन्याओं, पीडि़त और बेघर महिलाओं को सम्मान और सुरक्षित आवास उपलब्ध करवाया है. इस तरह एक समय फायरब्रांड साध्वी कहलाने वाली दीदी 'मां' कहलाने लगी.

अब मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर और हिमाचल प्रदेश के सोलन के साथ-साथ गुजरात में भी महिलाओं और लड़कियों के लिए वात्सल्य ग्राम स्थापित किए जा रहे हैं जहां वे एक परिवार की तरह रहेंगी जबकि छतरपुर में महिलाओं के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने की योजना भी है. उज्जैन महाकुंभ में साध्वी ऋतंभरा के शिविर की व्यवस्था देख रहीं साध्वी सत्यप्रिया कहती हैं, ''वात्सल्य ग्राम में न सिर्फ कन्याओं को शरण मिलती है बल्कि उनकी शिक्षा का भी उचित प्रबंध होता है. ''

इसी तरह युवा संत श्री बालक योगेश्वर दास समाज के एक वर्ग के लिए बड़े भाई की भूमिका निभा रहे हैं. वे शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनके शोकसंतप्त परिवार को ढाढस बंधाने के लिए यज्ञ करवा रहे हैं. उज्जैन में भूखी माता मंदिर के सामने बनी उनकी विशाल यज्ञशाला के शिखर पर भारत माता की तस्वीर लगी है और यज्ञशाला तिरंगे में रंगी दिखाई देती है. जम्मू-कश्मीर में रहते हुए फौजी पिता और फौजी भाई के साथ-साथ अन्य सैनिकों को बचपन से देखते आ रहे बालक 10 वर्ष की अवस्था में साधु तो बन गए लेकिन सैनिकों के लिए उनके मन में विशेष स्थान रहा. यही वजह रही कि उन्होंने 2006 में मेजर अजय जसरोटिया की स्मृति में यज्ञ का आयोजन किया. मेजर से वे भावनात्मक रूप से भी जुड़े थे. उसके बाद तो उन्होंने शहीद परिवारों को एकत्र कर सिर्फ शहीदों के कल्याण के लिए ही यज्ञ का क्रम शुरू कर दिया.

करगिल के द्रास सेक्टर में भी उन्होंने इसी तरह का यज्ञ करवाया था जिसमें शहीदों के 500 से अधिक परिजन पहुंचे थे. उज्जैन में यह इस तरह का 25वां यज्ञ होगा. बालक योगेश्वर दास कहते हैं, ''साधु भी इनसान होता है, पत्थर नहीं. उसे भी दुख होता है लेकिन अपने ज्ञान के माध्यम से वह इस दुख से बाहर निकल आता है. शहीदों की याद में यज्ञ इसी का द्योतक है.'' यज्ञ के माध्यम से ही पर्यावरण शुद्ध करने का संकल्प करने वाले महामंडलेश्वर अवधूत अरुण गिरि महाराज जूना अखाड़े से जुड़े महायोगी पायलट बाबा के शिष्य हैं और एनवायरनमेंट बाबा कहलाते हैं.

सेवा की इसी भावना के साथ 1917 में स्वामी प्रणवानंद महाराज ने भारत सेवाश्रम संघ स्थापित किया था जो अब 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. विगत 99 साल से लगातार सेवा कार्य करने वाला संन्यासियों का यह संगठन वर्तमान संचालक स्वामी माधवानंद की अगुआई में 200 तैराकों के साथ क्षिप्रा नदी पर सेवा करेगा. उनके शिविर में चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध रहेगी और यहां ब्लड प्रेशर और बोन डेनसिटी टेस्ट, मधुमेह के रोगियों की रक्त शर्करा की जांच और हृदय रोगियों के लिए ईसीजी जांच के साथ ही एंबुलेंस सुविधा भी रहेगी. यहां पर 10 बेड का अस्पताल भी बनाया गया है. वैसे, कोलकाता में संघ का 500 बिस्तरों वाला स्थायी अस्पताल है. गांवों में चल चिकित्सालय के माध्यम से सेवा कार्य करता है और इसके साथ ही शिक्षा के लिए स्कूल-कॉलेज का संचालन भी संघ करता है. पिछले कई वर्षों से देश के विभिन्न हिस्सों में आने वाली बाढ़ हो या सूखा या अन्य कोई प्राकृतिक आपदा, भारत सेवाश्रम संघ के स्वयंसेवक तुरंत पहुंचते रहे हैं.

यूं तो लगभग सभी साधु-संत अपने प्रवचनों के माध्यम से समाज को सही दिशा दिखाने का काम तो करते ही हैं लेकिन खुद आगे बढ़कर, अपने व्यवहार में ऐसा उदाहरण पेश करना और बदलाव का बीड़ा उठाना सही मायने में परिवर्तनकारी है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement