देश की राजधानी में इन दिनों साफ-सफाई को लेकर एजेंसियां, खास तौर से एमसीडी सतर्क नजर नहीं आ रही है. एक तरफ जहां बीमारियों ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ हर गली और मोहल्ले में जमा कूड़े का ढेर, आम लोगों की सेहत के लिए मुसीबत बन गया है. 'आज तक' की टीम ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों का रियलिटी चेक किया.
गांधी जयंती यानि 2 अक्टूबर को पूरा देश स्वच्छ भारत अभियान की दूसरी सालगिरह मनाने जा रहा है. इस बीच दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने तीनों नगर निगम को अगले 30 दिनों तक युद्ध स्तर पर हर गली-मोहल्ले की साफ सफाई करने का आदेश दिया था. लेकिन एलजी के आदेश के बावजूद नगर निगम की नींद खुलती नजर नहीं आ रही है. 'आज तक' की टीम ने बुधवार की दोपहर पुरानी दिल्ली के इस इलाके का रियलिटी चेक किया, जहां ऐतिहासिक इमारत जामा मस्जिद है.
हमारी टीम ने जामा मस्जिद से 100 कदम दूर गेस्ट हाउस की उन गलियों का दौरा किया जहां देसी और विदेशी सैलानी दूर-दूर से ठहरने आते हैं, लेकिन 16 साल से जामा मस्जिद के नजदीक गेस्ट हाउस चला रहे सलमान ने जो बताया वो बेहद चौकाने वाला है. सलमान का कहना है कि गली में कूड़े का ढेर इकट्ठा होने की वजह से कुत्ते इकट्ठे होते हैं और सुबह जब बच्चे स्कूल जाते हैं तो बच्चों का पीछा करते हैं, कई बार तो कुत्तों ने बच्चों को काट भी लिया है. सलमान ने बताया कि ये कमर्शियल इलाका होने के साथ-साथ ऐतिहासिक ईमारत के नजदीक भी है. टूरिस्ट और विदेशी आते हैं और गंदगी देखने के बाद उनकी बहुत नकारात्मक छवि बनती है. गेस्ट हाउस में कोई भी सैलानी आता है तो 2 दिन से ज्यादा नहीं रुकता है. वो बदबू और गंदगी की शिकायत करके गेस्ट हाउस छोड़ देते हैं. हमने गंदगी हटाने के लिए कई बार एमसीडी को शिकायत भी की है. एलजी साहब से यही कहना चाहते हैं कि लोग परेशान हैं. यहां बीमारी फैलने का डर है. एलजी साहब कूड़े की सफाई कराएं.
पिछले कई सालों से जामा मस्जिद में दवाई दुकान चला रहे नावेद का कहना है कि यहां इतनी बदबू होती है कि मरीज को मुंह पर हाथ रखना पड़ता है. कई लोगों को तो उलटी हो जाती है. ये अस्पताल सिर्फ बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए है. कई बार ऐसा होता है कि मरीज के साथ कोई नहीं होता. यहां इतनी गंदगी होती है कि ग्राहक दुकान में आना पसंद नहीं करते.
आपको बता दें कि जामा मस्जिद की तरफ जा रही सड़क पर एमसीडी का कस्तूरबा बाई अस्पताल है, यहां बच्चों और गर्भवती महिलाओं का इलाज और देखरेख की जाती है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि जहां कूड़ा फैला हुआ वो सरकारी अस्पताल से सटी हुई गली है. ऐसे में एमसीडी के अस्पताल के नजदीक दवाई दुकानों में आने वाले मरीजों का बुरा हाल हो जाता है. कूड़े की ढेर से गंदगी और फिर लंबे समय तक कूड़ा न उठने से बदबू से बुरा हाल हो जाता है. बिना रुमाल या मुंह ढके अस्पताल से सटी इस गली से गुजरना मुश्किल हो जाता है.
पंकज जैन