रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने उर्जित पटेल के इस्तीफे पर कहा है कि ‘हर भारतीय’ को इस पर सोचना चाहिए क्योंकि आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए संस्थानों की मजबूती जरूरी है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सरकार के साथ कई मुद्दों को लेकर उनके मतभेद बने हुए थे और सरकार की ओर से कोई कड़े कदम उठाए जाने (धारा सात के तहत निर्देश) की आशंका बनी हुई थी. राजन ने समाचार चैनल ईटी नाउसे कहा, ‘मेरा मानना है कि डॉ. पटेल ने अपनी बात कह दी है और मैं समझता हूं कि कोई अधिकारी यही अंतिम बयान दे सकता है. मेरा मानना है कि उनकी बातों का सम्मान होना चाहिए.’
राजन ने कहा, ‘हमें मामले की तह में जाना चाहिए कि यह गतिरोध क्यों बना. कौन सी वजह रही जिससे यह कदम उठाना पड़ा.’ रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से सितंबर 2016 में रिटायर हुए राजन ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि यह ऐसी बात है जिसे सभी भारतीयों को समझना चाहिए क्योंकिहमारी लगातार वृद्धि और अर्थव्यवस्था के साथ इंसाफ के लिए हमारे संस्थानों की मजबूती वास्तव में काफी अहम है.’
रिजर्व बैंक की शक्तियों के बारे में राजन ने कहा कि आरबीआई के निदेशक मंडल के कामकाज में ‘बड़ा बदलाव’ आया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर रहते हुए राजन के भी सरकार के साथ मतभेद थे. यही वजह रही कि पहला कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें दूसरा कार्यकाल नहीं दिया गया.
राजन ने कहा कि पहले रिजर्व बैंक का निदेशक मंडल सलाहकार की भूमिका निभाता था जिस पर केंद्रीय बैंक के पेशेवर फैसला लेते थे. राजन का इशारा आरबीआई निदेशक मंडल में आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति और सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ एस.के. मराठे की हाल में नियुक्तिकी ओर था.
पटेल के इस्तीफे को लेकर उसी समय से चर्चा चल रही थी जबसे सरकार की ओर से रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के इस्तेमाल की बात की जा रही थी. इस धारा के तहत सरकार रिजर्व बैंक गवर्नर को सीधे निर्देश दे सकती है.
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