GST ने बढ़ा दिए रावण के भाव, दहन किया तो जेब में लगेगी आग

पुतले बनाने के इस्तेमाल होने वाले कागज, कलर पेपर, पेंट, तार और लकड़ी पर जीएसटी के तहत 12 से 28 फीसदी तक टैक्स है. जीएसटी लागू होने के बाद पुतले बनाने की लागत में 20 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है.

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रावण का पुतला रावण का पुतला

रोहित मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:35 PM IST

देश की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर है और महंगाई का अहसास आप सभी की जेबों को हो रहा होगा. पेट्रोल/डीजल की कीमतों ने अलग आग लगा रखी है. लेकिन आप शायद सोच भी नहीं सके होंगे कि इस बार दशहरा पर रावण जलाना भी महंगा पड़ जाएगा.

हो सकता है कि इस बार दशहरे की चमक-दमक थोड़ी फिकी रहे, क्योंकि रावण के पुतले तक पर GST की नजर लग गई है. जीएसटी के चलते पिछली साल की अपेक्षा रावण के पुतलों की कीमत में तेज इजाफा हुआ है. जीएसटी का असर रावण के पुतले के खरीदारों पर पड़ा है और रावण अब महंगा हो चुका है.

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रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों पर भी महंगाई की मार पड़ी है. रावण महंगा हो चला है, क्योंकि जीएसटी का असर पुतले पर भी दिख रहा है जो खरीदारों की जेब ज्यादा ढीली करेगा.

दरसअल पुतला बनाने में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियां जीएसटी के दायरें में आ चुकी हैं, जिसके चलते पुतला निर्माण पर आने वाली लागत में काफी वृद्धि हुई है. पुतले बनाने के इस्तेमाल होने वाले कागज, कलर पेपर, पेंट, तार और लकड़ी पर जीएसटी के तहत 12 से 28 फीसदी तक टैक्स है. जीएसटी लागू होने के बाद पुतले बनाने की लागत में 20 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है.

व्यापारियों का कहना है कि पहले कई सामग्रियों पर टैक्स नहीं लगता था लेकिन अब तो हर सामान ही जीएसटी के दायरे में है.

दिल्ली का तितरपुर इलाका पुतलों का सबसे बड़ा बाजार है, जहां 10 फुट से लेकर 70 फुट तक के रावण के पुतले बनाए जाते हैं, लेकिन जीएसटी और महंगाई की वजह से इस बार इस बाजार की रंगत भी फिकी ही नजर आ रही है.

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