भारतीय टेलीविजन इतिहास के सबसे मशहूर और कामयाब शोज में से एक रामायण को इन दिनों दूरदर्शन पर री-टेलीकास्ट किया जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं रामायण टीवी शो बनना मुश्किल होता अगर रामानंद सागर ने विक्रम बेताल नहीं बनाया होता.
जी हां, ये सच है. रामानंद सागर जो कि सिल्वर स्क्रीन का एक जाना माना नाम थे. वो फिल्में बनाने के लिए जाने जाते थे. रामानंद सागर का सिनेमा छोड़कर अचानक टीवी के क्षेत्र में कदम रखना कई लोगों को हजम नहीं हो रहा था. रामानंद सागर अपनी जिद के पक्के थे. वे टीवी पर आए और उन्होंने तय किया कि वह रामायण बनाएंगे. लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी उन्हें इस शो को बनाने के लिए फंड्स नहीं मिल रहे थे. वजह ये थी कि लोगों को नहीं लगता था कि मुकुट और मूछ वाला कॉन्सेप्ट चलेगा.
इससे पहले इस तरह की कोशिश पहले किसी ने नहीं की थी और रामानंद सागर कुछ ऐसा करने की हठ पकड़े हुए थे जिसके लिए फाइनेंसर्स को राजी करना मुश्किल था. लेकिन सागर की जिद थी कि वह रामायण, दुर्गा और कृष्णा नाम के तीन शोज जरूर बनाएंगे. जब तक रामायण के लिए बात नहीं बनी तब तक सागर ने 1986 में विक्रम बेताल नाम का शो शुरू कर दिया. ये शो काफी हिट हुआ और फायदा ये हुआ कि इसकी वजह से सागर को रामायण के लिए फाइनेंसर्स मिलने शुरू हो गए.
प्रेम सागर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस दौर में विक्रम बेताल का एक एपिसोड 1 लाख रुपये में बनता था और जब बात रामायण शूट करने की आई तो इसका एक एपिसोड उन्हें 9 लाख रुपये के आसपास पड़ता था. यानि रामायण के एक एपिसोड की लागत विक्रम बेताल के एक एपिसोड की 9 गुनी ज्यादा हुआ करती थी. बहरहाल रामानंद सागर ने ये शो बनाया और ये इतना ज्यादा हिट हुआ कि इसे देखने के लिए उस दौर में सड़कें सूनी हो जाया करती थीं.
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ऐसा था रामायण का क्रेजरामायण का क्रेज ऐसा था कि इस शो को देखने के लिए लोग प्रसारण के वक्त घरों में एक साथ बैठे नजर आते थे. जिनके खुद के घरों में टीवी नहीं थे वो दूसरे के घरों में जाकर इस शो को देखा करते थे. रामायण जिसको देखने के लिए कभी सड़कें सूनी हो जाती थीं वही रामायण अब सूनी सड़कों के बीच घरों में टीवी पर धूम मचा रहा है.
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