इंडस्ट्री में कई सारे एक्टर्स को आपने फिल्मों में रौब जमाते देखा होगा. मगर असल जिंदगी में अगर कोई रौबदार एक्टर हुआ तो वो थे राज कुमार. राज कुमार ने फिल्मों में अपने अभिनय के साथ ही अपने अंदाज से भी एक खास पहचान बनाई. मगर शायद ये अंदाज वे फिल्मों में नाटक करने के लिए ही नहीं दिखाते थे. बल्कि उनका अंदाज जुदा था ही. इसलिए शायद उनकी इंडस्ट्री में ज्यादा लोगों से नहीं बनी. कई सारे कोस्टार्स और फिल्म पर्सनालिटीज के साथ उनका रिश्ता बिगड़ा. इसकी वजह थी उनका मुफट रवैया. वे काफी स्ट्रेट फॉर्वर्ड थे. और कभी भी किसी से कुछ भी कहने में हिचकते नहीं थे. वे फिल्मों में रियल लाइफ जीते थे या उनकी रियल लाइफ ही फिल्मी थी, ये आज तक कोई नहीं जान पाया.
अधिकतर लोगों ने राज कुमार को उनके अभिनय, अंदाज, और डायलॉग डिलीवरी से जाना. तो कुछ लोग उनके मिजाज के लपेटे में आए. बहुत कम लोग ही ऐसे रहे जो उनके बेहद करीब आ पाए. उसमें से एक नाम थे नाना पाटेकर. मगर अभी बात हो रही है राजकुमार के मिजाज की और उस किस्से की जब उन्होंने रामायण का निर्देशन करने वाले दिग्गज फिल्म निर्देशक रामानंद सागर की फिल्म को ठुकरा दिया था. और इस अंदाज में ठुकराया था कि शायद किसी भी निर्देशक ने अपने जीवन में ऐसा अनुभव नहीं किया होगा.
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1968 में रामानंद सागर एक फिल्म बना रहे थे. फिल्म का नाम था आंखें. फिल्म में लीड रोल धर्मेंद्र ने प्ले किया था मगर उनसे पहले ये फिल्म राज कुमार को साइन हुई थी. हुआ यूं कि रामानंद सागर फिल्म में राज कुमार को कास्ट करना चाहते थे. वे उनके घर पहुंचे, कहानी सुनाई. पर शायद राज कुमार को कहानी पसंद नहीं आई. उन्होंने अपने पालतू कुत्ते को आवाज लगाई. जैसे ही उनका डॉगी पहुंचा राज कुमार ने पूछा- क्या तुम रोल करना चाहते हो? कुत्ते ने उनकी ओर देखा और कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इसके बाद राज कुमार ने रामानंद सागर से कहा- देखा ये रोल तो मेरा कुत्ता भी नहीं करना चाहेगा.
धर्मेंद्र ने निभाया था फिल्म में लीड रोल
रामानंद सागर उस वक्त वहां से चले गए और दोनों ने दोबारा कभी किसी फिल्म में काम नहीं किया. फिल्म धर्मेंद्र को ऑफर हुई और बॉक्स ऑफिस पर बहुत हिट रही. इसे धर्मेंद्र की अच्छी फिल्मों में गिना जाता है. ये फिल्म साल 1968 में आई थी और धर्मेंद्र की शुरुआती फिल्मों में से एक थी.
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